प्रशांत किशोर राघोपुर और करगहर से लड़ सकते हैं चुनाव:बोले-नीतीश चुनाव लड़े तो उनके खिलाफ लड़ूगा, पार्टी का फैसला अंतिम होगा

Sep 3, 2025 - 16:30
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प्रशांत किशोर राघोपुर और करगहर से लड़ सकते हैं चुनाव:बोले-नीतीश चुनाव लड़े तो उनके खिलाफ लड़ूगा, पार्टी का फैसला अंतिम होगा
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर बिहार विधानसभा चुनाव में 2 सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं। बुधवार को प्रशांत किशोर ने बिहार तक चैनल से बातचीत के दौरान इसका संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा, 'मैं लोगों से कहता आया हूं, चुनाव दो ही जगहों से लड़नी चाहिए। पहला जन्मभूमि और दूसरा कर्मभूमि से। जन्मभूमि के हिसाब से मुझे सासाराम के करगहर विधानसभा से मुझे चुनाव लड़ना चाहिए। कर्मभूमि के हिसाब से राघोपुर से लड़ना चाहिए। बाकी जगह से चुनाव लड़ने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने आगे कहा, 'अगर चुनाव लड़ेंगे तो तेजस्वी के खिलाफ ही लड़ेंगे। दूसरी जगह से चुनाव लड़ने का क्या फायदा है। प्रशांत किशोर से पूछा गया कि क्या नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगे? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार चुनाव लड़ेंगे तो डेफिनेटली उनके खिलाफ मैं चुनाव लड़ूंगा। पार्टी से लड़कर वहां से टिकट लूंगा। हालांकि 20 वर्षों से नीतीश कुमार चुनाव नहीं लड़े हैं। वे पीछे के दरवाजे से पॉलिटिक्स कर रहे हैं।' पार्टी ने इस पर कुछ भी बोलने से किया इनकार दैनिक भास्कर ने इस मसले पर पार्टी का पक्ष जानना चाहा तो पार्टी की तरफ से आधिकारिक तौर से कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया गया। उन्होंने कहा कि 'अभी इस पर कुछ भी तय नहीं हुआ है।' अब दोनों सीटों का समीकरण समझिए करगहर में ब्राह्मण निर्णायक फैक्टर सीनियर जर्नलिस्ट गोविंदा मिश्रा बताते हैं, 'करगहर से चुनाव लड़कर प्रशांत किशोर ये मैसेज दे सकते हैं कि वे बिहार में बदलाव की राजनीति करने आए हैं और वो इसकी शुरुआत अपने घर से चुनाव लड़कर कर सकते हैं।' गोविंदा बताते हैं, 'करगहर एक कुर्मी बहुल विधानसभा क्षेत्र है। यहां 50-60 हजार से ज्यादा कुर्मी-कोइरी की आबादी है। लेकिन यहां ब्राह्मण निर्णायक भूमिका में हैं।' 'इस इलाके में 30-35 हजार वोटर्स ब्राह्मण हैं। पिछले 10 साल से यहां की पॉलिटिक्स एंटी कुर्मी की रही है। यही कारण है कि पिछले चुनाव में कुर्मी जाति से आने वाले वशिष्ठ सिंह को ब्राह्मण जाति से आने वाले संतोष मिश्रा ने हरा दिया था।' राघोपुर लालू परिवार का गढ़ राघोपुर को लालू परिवार का गढ़ माना जाता है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, पूर्व सीएम राबड़ी देवी और अब तेजस्वी यादव राजद के तीनों टॉप लीडर्स यहां से चुनाव लड़ चुके हैं। फिलहाल तेजस्वी यादव यहां के विधायक हैं। उनका यहां से चुनाव लड़ना तय है। इस स्थिति में प्रशांत किशोर यहां से चुनाव लड़ेंगे तो ये सीधा मैसेज जाएगा कि वे लालू परिवार से टकरा रहे हैं। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव लड़कर ठीक यही काम किए थे। अगर यहां के सामाजिक समीकरण की बात करें तो राघोपुर विधानसभा सीट पर करीब 30% यादव वोटर हैं। भूमिहार वोटर भी यहां बड़ी संख्या में हैं। पासवान वोटर्स की आबादी यहां का जीत-हार तय करती है। पिछले 8 चुनाव में 7 बार यहां से राजद जीती है अब तक कुल 19 चुनाव हुए हैं। इनमें सात बार राजद, तीन बार कांग्रेस, दो बार जनता दल और एक-एक बार जदयू, लोकदल, जनता पार्टी (सेक्युलर), जनता पार्टी, जनसंघ, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी को जीत मिली। पिछले आठ में से सात चुनाव में यहां राजद को जीत मिली है। तीन बार जीतने वाली कांग्रेस 1969 के बाद से यहां कभी नहीं जीती। भाजपा इस सीट पर अब तक अपना खाता नहीं खोल सकी है।

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