बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है हर डाल पर उल्लू बैठा है, अंजामे-गुलिस्ताँ क्या होगा?
"बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है, हर डाल पर उल्लू बैठा है, अंजामे-गुलिस्ताँ क्या होगा!" यह कहावत आज के कुछ निजी कंपनियों की सेवा व्यवस्था पर बिल्कुल सटीक बैठती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां एक उपभोक्ता ने एयरटेल कंपनी की सेवा में सुधार को लेकर एक कर्मचारी से संवाद किया। परंतु, आश्चर्यजनक रूप से उस कर्मचारी ने न केवल उपभोक्ता के सवालों का गलत और असभ्य ढंग से जवाब दिया, बल्कि यह भी कह डाला—"अगर आपको दिक्कत है तो एयरटेल पर केस कर दीजिए, हमारी सेवाओं में कोई सुधार नहीं होगा।" अब सवाल यह उठता है कि जब उपभोक्ता को ही झिड़क दिया जाएगा तो वह अपनी बात लेकर आखिर जाए तो जाए कहां? किससे उम्मीद करे? यह स्थिति बेहद चिंताजनक है, क्योंकि ऐसे कर्मचारी उपभोक्ताओं को संतोषजनक सेवा देने की बजाय उन्हें भ्रमित और गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं। ई-मीडिया न्यूज़ नवादा से उदय उपाध्याय, ब्यूरो चीफ की विशेष रिपोर्ट.
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