शिक्षकों में म्यूचुअल ट्रांसफर का नया अंदाज : फोटो-बायोडाटा के साथ व्हाट्सएप पर ट्रांसफर की मैचिंग शुरू, विभागीय पोर्टल से पहले ग्रुप पर भरोसा

Aug 1, 2025 - 04:30
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शिक्षकों में म्यूचुअल ट्रांसफर का नया अंदाज : फोटो-बायोडाटा के साथ व्हाट्सएप पर ट्रांसफर की मैचिंग शुरू, विभागीय पोर्टल से पहले ग्रुप पर भरोसा
आदित्यानंद आर्य | सीतामढ़ी बिहार में शिक्षकों के परस्पर स्थानांतरण (म्यूचुअल ट्रांसफर) की प्रक्रिया अब नई शक्ल अख्तियार कर चुकी है। पारंपरिक प्रक्रिया को पीछे छोड़, अब शिक्षक ट्रांसफर के लिए एक-दूसरे से संपर्क साधने के लिए डिजिटल दुनिया की मदद ले रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि अब शिक्षक व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपना बायोडाटा, पासपोर्ट साइज फोटो और मोबाइल नंबर के साथ अर्जी दे रहे हैं, मानो कोई वैवाहिक विज्ञापन हो। बिहार शिक्षा विभाग द्वारा म्यूचुअल ट्रांसफर की अनुमति मिलने के बाद यह ट्रेंड और तेज हो गया है। हाल ही में विभाग ने 10 शिक्षकों के समूह को उनके इच्छित विद्यालयों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया, जिसके बाद जिले समेत पूरे प्रदेश में शिक्षकों के बीच जोड़ी बनाने की एक तरह की होड़ सी मच गई है। पहचान की पुष्टि और भरोसे के लिए शिक्षक अपनी फोटो तक साझा कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर बने अलग-अलग ब्लॉग और जिला आधारित ग्रुपों में रोज़ाना सैकड़ों शिक्षक अपना विवरण डाल रहे हैं। कोई लिखता है- मैं सीतामढ़ी के मेजरगंज से गोपालगंज जाना चाहता हूं, 2016 बैच, हिंदी विषय, इच्छुक शिक्षक संपर्क करें। वहीं कोई अपने मैसेज में फोटो लगाकर स्कूल का नाम, नियुक्ति तिथि व ट्रांसफर की वांछित जगह के साथ मोबाइल नंबर भी शेयर करता है। शिक्षा विभाग द्वारा ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए औपचारिक व्यवस्था की गई है, लेकिन शिक्षकों का पहला कदम व्हाट्सएप, टेलीग्राम या फेसबुक पर ट्रांसफर पार्टनर की तलाश करना होता है। जब मैचिंग हो जाती है, तब विभागीय प्रक्रिया शुरू की जाती है। जिले के शिवमंगल सिंह जो सारण ट्रांसफर कराना चाहते हैं, बताते हैं, मेरे जैसे सैकड़ों शिक्षक हैं जिन्हें विभागीय पोर्टल से पहले ग्रुप में पार्टनर खोजना पड़ता है। ऐसी ट्रांसफर व्यवस्था से बिचौलिए दूर हुए इस व्यवस्था में कुछ परेशानियां हैं, लेकिन इसके सकारात्मक पहलू भी सामने आए हैं। अब शिक्षक अपनी पसंद की जगहों पर स्थानांतरित हो पा रहे हैं, बिना किसी राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव के। इससे ट्रांसफर प्रक्रिया पारदर्शी और जनोन्मुखी बनती जा रही है। बिचौलियों की भूमिका घटी है। शिक्षकों को अपनी पसंद की जगह मिलने का मौका बढ़ा है। शिक्षा विभाग पर अनावश्यक दबाव कम हुआ है।

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