समस्तीपुर में बिहार विधानसभा के मुख्य सचेतक, राजद के प्रदेश प्रवक्ता सह विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने जीविका समुह के कार्यक्रम से लौट कर बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि सरकारी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने मां का राजनीतिक उपयोग कर रहे हैं। तेजस्वी व राहुल गांधी ने जब बिहार की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हर घर कम से कम ढाई हजार रुपए देने की बात कही उसके बाद महिलाओं को रोजगार के लिए 10 हजार रुपए देने की घोषणा की गई। आखिर पिछले 20 सालों से यह क्यों नहीं किया गया। जीविका बैंक के लिए महज 105 करोड़ की राशि दी गई। इतनी राशि में तो पुलों का निर्माण होता है। पूरे राज्य में 4 करोड़ से अधिक महिलाएं जीविका से जुड़ी हुई है। सिर्फ समस्तीपुर में इससे 6 लाख महिलाएं जुड़ी हुई है। यह सिर्फ लॉलीपाप दिखाना है। प्रधानमंत्री की मां जैसे पवित्र शब्द का राजनीतिक उपयोग कर वह वोट मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि दरभंगा में एक बच्चा नेअभ्रद्र टिप्पणी कर दी थी। उसकी गिरफ्तारी भी हो गई है। पूर्व में भी देखा गया है कि प्रधानमंत्री मां को लाइन में लगा कर राजनीतिक फायदा लिए है। अब फिर से वहीं कर रहे हैं। जो दुर्भाग्यपूर्ण है। बिहार की महिलाओं की बद से बदतर हालत महिलाओं के लिए क्या किया गया। यह सरकार की रिपोर्ट है कि आजादी के 70 सालों के बाद भी बिहार की महिलाओं की बद से बदतर हालत है। एक करोड़ परिवार ऐसा है जिसकी मासिक आय छह हजार से कम है। उसके लिए कोई पैकेज नहीं दे रहे हैं। इसके लिए तेजस्वी यादव ने ऐलान किया कि सरकार बनेगी, तो हर महिला को ढाई -ढाई हजार रुपए महीना, यानी एक घर से तीन-तीन चार-चार महिलाएं होती है। तो एक परिवार में कम से कम दस हजार रुपए देने का ऐलान तेजस्वी यादव ने किया। आपने अपने 11 साल के कार्यकाल में व नीतीश कुमार ने 20 सालों के कार्यकाल में किसी भी महिला को एक हजार भी भत्ता नहीं दिया। अगर किसी ने महिलाओं के दर्द को समझा है, तो वह तेजस्वी यादव और लालू यादव व राहुल गांधी है। यह वादा किया है कि नवंबर महीने में सरकार बनने पर हर घर को पांच से दस हजार रुपए की सहायता प्रदान की जाएगी। इससे एनडीए के लोग घबड़ा गए हैं। नीतीश कैबिनेट ने 10 हजार रुपए देने की घोषणा की यह वोट के लिए घुस है। बावजूद उन्हें कोई फायदा मिलने वाला नहीं है।