किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड में नाबार्ड की वाडी परियोजना ने आदिवासी किसान कोविराज मुरमु के जीवन को बदल दिया है। पाट्टिबिछा गांव के कोविराज ने एक एकड़ बंजर जमीन को फलदार बगीचे में बदल दिया है। कोविराज 2020 में नाबार्ड के ट्राइबल डेवलपमेंट फंड की वाडी परियोजना से जुड़े। RDMO संस्था के मार्गदर्शन में उन्होंने अपनी जमीन पर आम और अमरूद के पेड़ लगाए। उन्होंने महोगनी और एमसोल के वृक्ष भी रोपे। खाली जगह में मौसमी सब्जियों की खेती शुरू की। पहले मजदूरी करने वाले कोविराज अब अपने बगीचे से साल भर कमाई कर रहे हैं। वह सब्जी बेचकर हर सीजन में 30 से 40 हजार रुपए कमा लेते हैं। फलदार पेड़ों से नियमित आय हो रही है। महोगनी और अमसोल के पेड़ों से भविष्य में लकड़ी बेचकर अतिरिक्त आय होगी। वाडी परियोजना ने कोविराज को जैविक खेती और आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया। इससे खेती टिकाऊ बनी है। आर्थिक स्थिति सुधरने से वह बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य पर ध्यान दे पा रहे हैं। आज कोविराज आसपास के किसानों के लिए प्रेरणा हैं। कई किसान उनसे वाडी तकनीक सीखने आते हैं। नाबार्ड के डीडीएम के मुताबिक, वाडी परियोजना आदिवासी परिवारों के विकास में अहम भूमिका निभा रही है। कोविराज कहते हैं कि यह परियोजना उन्हें पेड़ों के साथ आत्मसम्मान और सुरक्षित भविष्य दे रही है।