औरंगाबाद में मीटर रीडरों ने दिया धरना:प्रदर्शनकारी बोले- स्मार्ट मीटर लगने से खतरे में भविष्य, मांग पूरी नहीं होने पर नोटा को देंगे वोट

Aug 1, 2025 - 16:30
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औरंगाबाद में मीटर रीडरों ने दिया धरना:प्रदर्शनकारी बोले- स्मार्ट मीटर लगने से खतरे में भविष्य, मांग पूरी नहीं होने पर नोटा को देंगे वोट
औरंगाबाद में शुक्रवार को बिहार राज्य ग्रामीण विद्युत फ्रेंचाइजी कामगार संघ ने धरना दिया। इन्होंने दानी बिगहा स्थित बस स्टैंड पर एक दिवसीय धरना का आयोजन किया। धरना कार्यक्रम में जिले के सभी मीटर रीडर ने भाग लिया। प्रदर्शन में शामिल मीटर रीडर ने कहा कि बिहार सरकार की फ्री बिजली योजना का असर अब बिजली मीटर रीडरों की रोजी-रोटी पर पड़ने लगा है। आज यानी शुक्रवार से पूरे राज्य में 125 यूनिट बिजली फ्री कर दी गई है। ऐसी स्थिति में 60% से अधिक आबादी का बिजली बिल नहीं आएगा। 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना के कारण गांवों में हजारों स्मार्ट मीटर शून्य यूनिट दिखाने लगेंगे, जिससे उनकी आमदनी ठप हो जायेगी। भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पूरे राज्य में 19500 मीटर रीडर पूरी तरह बेरोजगार हो जाएंगे। मीटर रीडर दीपक कुमार ने बताया कि उनकी प्रमुख मांग है कि बिजली विभाग में पंचायत पर्यवेक्षक का पद सृजित कर उन्हें समायोजित किया जाये। विभागीय अधिकारियों को मांग पत्र दिया मुख्यमंत्री सहित बिहार सरकार के मंत्रियों और विभागीय अधिकारियों को मांग पत्र दिया गया है। मीटर रीडरों ने बताया कि साल 2013 में राज्य सरकार ने रूरल रेवेन्यू फ्रेंचाइजी योजना के तहत गांवों में बिलिंग और राजस्व संग्रहण की जिम्मेदारी दी थी। तब से लेकर अब तक वे घर-घर जाकर मीटर रीडिंग, बिल वितरण और संग्रहण का काम करते आ रहे हैं। साल 2017 में जब निजी कंपनियों को यह जिम्मेदारी दी गयी, तब कई रीडर मासिक राजस्व कलेक्शन के तहत शामिल हो गये और लगातार काम करते रहे। उन्होंने कहा कि बिना किसी ऑप्शनल व्यवस्था या समायोजन के, अचानक लाई गयी मुफ्त बिजली योजना से उनका रोजगार संकट में आ गया है। 5 दिनों का दिया अल्टीमेटम उनका कहना है कि जब हर सरकारी विभाग में कार्यरत कर्मियों के वेतन में नियमित वृद्धि होती है। मीटर रीडरों को पिछले 10 सालों से मात्र 3% कमीशन पर काम करना पड़ रहा है। पहले यह दर 6% थी। प्रदर्शनकारी मीटर रीडरों का कहना है कि वे मुफ्त बिजली योजना का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि सरकार से यह अपेक्षा कर रहे हैं कि उनके रोजगार और परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाये। पूर्व में भी की गई थी समायोजन की मांग संघ के अध्यक्ष शंकर कुमार ने बताया कि पिछले सालों में कई बार एक दिवसीय और सात दिवसीय हड़तालें कर सरकार और विभाग का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। संघ की ओर से पहले जनप्रतिनिधियों व विभागीय अधिकारियों को समस्याओं से अवगत कराया गया है।

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