धनतेरस पर झाड़ू खरीदने की परंपरा:मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए की जाती है झाड़ू, खरीदी के लिए बाजारों में उमड़ी भीड़
गोपालगंज दिवाली से पूर्व मनाए जाने वाले धनतेरस के पावन अवसर पर झाड़ू खरीदने की वर्षों से चली आ रही पुरानी परंपरा को निभाने के लिए गोपालगंज के बाज़ारों में लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना बहुत शुभ माना जाता है, यही कारण है कि इस दिन लोग बड़े उत्साह के साथ खरीदारी करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, झाड़ू को धन की देवी मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। इस दिन झाड़ू खरीदने से घर में सुख-समृद्धि आती है और दरिद्रता दूर होती है। लोगों का मानना है कि नई झाड़ू घर में लाने से घर से नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाती है और सकारात्मकता का वास होता है, जिससे पूरे साल घर में खुशहाली बनी रहती है। झाड़ू खरीदारी के लिए उमड़ी भीड़ झाड़ू विक्रेताओं के चेहरे भी इस दिन खिल उठे, क्योंकि झाड़ू की बिक्री में भारी उछाल आया। धनतेरस पर झाड़ू खरीदने की इस परंपरा को लेकर लोगों में गहरा विश्वास है। कई लोगों ने कहा कि वे हर साल इस दिन झाड़ू खरीदते हैं क्योंकि यह उनके घर में मां लक्ष्मी का स्थायी वास सुनिश्चित करता है और धन-दौलत में बरकत होती है। झाड़ू की खरीदारी के साथ ही लोगों ने दीवाली की अन्य आवश्यक वस्तुओं और नए बर्तनों की भी जमकर खरीदारी की। धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने की परंपरा एक बहुत पुरानी और विशेष मान्यता है, जिसके कारण इस दिन बाजारों में झाड़ू खरीदने वालों की भारी भीड़ उमड़ती है। जानिए झाड़ू खरीदने का महत्व और इतिहास धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, झाड़ू को साक्षात मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। यह घर से गंदगी और कबाड़ को बाहर करती है, जिसे दरिद्रता और नकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसलिए, धनतेरस के शुभ अवसर पर नई झाड़ू खरीदने का मतलब है कि आप अपने घर से दरिद्रता को बाहर कर रहे हैं और माता लक्ष्मी का स्वागत कर रहे हैं। इसके अलावा, झाड़ू को स्वच्छता का भी प्रतीक माना जाता है। चूंकि दिवाली से पहले घर की साफ-सफाई का विशेष महत्व होता है, इसलिए नई झाड़ू खरीदकर उससे सफाई करना शुभता और समृद्धि लाता है।
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