गयाजी में बिहार बंद का सीमित प्रभाव देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता के अपमान के विरोध में आयोजित इस बंद का असर केवल सुबह 6 बजे से 10 बजे तक ही रहा। सहकारिता मंत्री डॉक्टर प्रेम कुमार के नेतृत्व में आयोजित बंद में भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। हालांकि, सुबह 10 बजे के बाद शहर की गतिविधियां सामान्य हो गईं। सड़कों पर दोपहिया वाहन, ई-रिक्शा और टेम्पो की आवाजाही जारी रही। शहर के सभी सरकारी और निजी स्कूल खुले रहे। निजी बसें भी सुबह से ही सामान्य रूप से चलती रहीं। व्यापारियों ने दुकानें खोलकर अपना कारोबार जारी रखा। दुकानदारों का कहना था कि वे परिवार के भरण-पोषण के लिए दुकानें बंद नहीं कर सकते। उल्लेखनीय है कि शहर में सामान्य दिनों में भी सुबह 6 से 10 बजे तक अधिकांश दुकानें बंद रहती हैं। इस तरह बंद का वास्तविक प्रभाव नगण्य रहा और आम जनजीवन सामान्य रूप से चलता रहा। सुबह से अपने नियमित कार्यों में व्यस्त रहे गयाजी में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता विजय कुमार मिठ्ठू ने गुरुवार को कहा कि भाजपा गठबंधन का बिहार बंद विफल हो गया। लोग सुबह से अपने नियमित कार्यों में व्यस्त रहे। मिठ्ठू ने बताया कि सुबह 6:00 से 10:00 बजे तक दुकानें रोज की तरह बंद रहीं। 10:00 बजे के बाद सभी दुकानें खुल गईं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की ललकार और नीतीश सरकार के समर्थन के बावजूद बिहार की जनता ने बंद को नकार दिया। गया शहर में बंद का कोई प्रभाव नहीं दिखा। यातायात सामान्य रहा और सभी प्रकार के वाहन चलते रहे। सरकारी कार्यालय खुले रहे और कर्मचारियों की उपस्थिति भी पूरी रही। प्रवक्ता ने बताया कि पुलिस प्रशासन के सहयोग से एनडीए के कुछ नेता और कार्यकर्ता प्रमुख सड़कों पर घूमते रहे, लेकिन जनता ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की माता के बारे में की गई एक टिप्पणी को लेकर भाजपा गठबंधन के नेता पिछले कई दिनों से विरोध कर रहे हैं। भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस कार्यालय पर आक्रमण किया और धरना-प्रदर्शन भी किया। जब इस पर जनता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो सरकार की ओर से बिहार बंद का आह्वान किया गया, जिसे बिहारवासियों ने स्वीकार नहीं किया।