आदित्यानंद आर्य |सीतामढ़ी नेपाल की जेल से हाल ही में कई कैदियों के फरार होने के बाद भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। पर, बॉर्डर पर तो सख्ती देखने को मिल रही है। लेकिन, जिले से सटे सीमावर्ती गांव फरार कैदियों और संदिग्धों के लिए सेफ ज़ोन बन रहे हैं। इन खुले जगहों पर न तो नेपाल प्रशासन की सख़्ती नज़र आ रही है और न ही एसएसबी की गश्त हर जगह प्रभावी दिखती है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि भारत-नेपाल की 99 प्रतिशत सीमा खुली है और लोग वर्षों से बिना किसी कागजी कार्रवाई के आते-जाते रहे हैं। ऐसे में फरार कैदी, तस्कर और आतंकी इन रास्तों का फायदा उठाते हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 23 संदिग्धों को पकड़ा गया है, जिनमें 16 फरार नेपाली कैदी शामिल हैं। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है और गहन जांच अभियान जारी है। सीमा पर तस्करी का भी गढ़ बना हुआ है। बॉर्डर पर बसे स्थानीय लोगों का कहना है कि धड़ल्ले से आवाजाही जारी है, जिससे खतरा और बढ़ता जा रहा है। अब तक जिले से 16 नेपाली कैदियों समेत 23 संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जिले के कई गांव नेपाल सीमा से सटे हुए हैं, जहां से बिना किसी रोक-टोक के आवागमन होता है। पूर्व में भी आतंकी गतिविधियां रही हैं भारत-नेपाल की खुली सीमा का दुरुपयोग सिर्फ तस्कर और फरार कैदी ही नहीं, बल्कि आतंकवादी भी करते रहे हैं। वर्ष 2000 में जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकी मकबूल और जाहिर को सीतामढ़ी जिले से गिरफ्तार किया गया था। दोनों आतंकी सीमा के ज़रिए नेपाल से भारत में दाखिल हुए थे। इसी तरह मुंबई की लोकल ट्रेन ब्लास्ट घटना के बाद पकड़े गए आतंकी मोहम्मद कमाल की पृष्ठभूमि भी इस क्षेत्र से जुड़ी बताई गई थी। वह मधुबनी का रहने वाला था और स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का सदस्य बताया गया था। ये घटनाएं इस बात का स्पष्ट संकेत देती हैं कि नेपाल की खुली सीमा भारत की सुरक्षा के लिहाज से लंबे समय से गंभीर चुनौती बनी हुई है। ^सभी थाना को अलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दिया गया है। साथ ही स्थानीय थाना पुलिस एसएसबी के साथ समन्वय स्थापित कर खुली सीमाओ मे लगातार गश्त कर रही है। किसी भी संदिग्ध को देख उसे पूछताछ की जा रही है। - अमित रंजन, एसपी, सीतामढ़ी।