सिटी रिपोर्टर | औरंगाबाद दीपावली पर आतिशबाजी का विशेष उत्साह हर उम्र के लोगों में देखा जाता है, लेकिन खुशी के इस त्यौहार में जरा सी असावधानी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। पटाखे छोड़ते समय सुरक्षा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, ताकि पर्व का आनंद किसी अप्रिय घटना से फीका न पड़े। चिकित्सकों और प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि अधिक आवाज वाले पटाखे न जलाएं और धुएं से यथासंभव दूर रहें। पटाखे से निकलने वाली चिंगारी, धुआं और तेज आवाज न केवल चोट का कारण बन सकती है, बल्कि यह आंख, कान और फेफड़ों को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। बच्चों को हमेशा बड़ों की देखरेख में ही पटाखे जलाने चाहिए और खुले स्थान पर ही आतिशबाजी करनी चाहिए। तेज आवाज से हो सकता है कान को नुकसान डॉ. एन. तिवारी ने बताया कि अधिक आवाज वाले पटाखों से कान का पर्दा फट सकता है। लगातार तेज आवाज के संपर्क में आने से व्यक्ति स्थायी रूप से सुनने की क्षमता खो सकता है। उन्होंने बताया कि 90 डेसिबल से अधिक आवाज वाले पटाखे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि कम आवाज वाले पर्यावरण अनुकूल पटाखों का ही प्रयोग करें।पटाखों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण को बढ़ाता है, जिससे सांस और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टरों ने बताया कि अस्थमा, एलर्जी या हृदय रोग से पीड़ित लोगों को दीपावली के दिन विशेष सावधानी रखनी चाहिए। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह धुआं सबसे अधिक हानिकारक होता है। इसलिए उन्हें पटाखों से दूर रखना जरूरी है।