अररिया में श्रद्धा-उल्लास के साथ मनाई गई अनंत चतुर्दशी:मंदिरों में 68 सालों से चली आ रही परंपरा, सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लिया हिस्सा

Sep 7, 2025 - 12:30
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अररिया में श्रद्धा-उल्लास के साथ मनाई गई अनंत चतुर्दशी:मंदिरों में 68 सालों से चली आ रही परंपरा, सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लिया हिस्सा
अररिया में अनंत चतुर्दशी का पर्व बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाकों तक भक्तों ने भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा-अर्चना की। सदर प्रखंड के रामपुर कोदरकट्टी पंचायत के ततमा टोला वार्ड नंबर 04 स्थित श्री भोनू बाबू अनंत नारायण-लक्ष्मी मंदिर और राजपूत टोला वार्ड नंबर 05 के लक्ष्मी नारायण मंदिर में विशेष आयोजन हुए। देर रात 9 बजे स्थानीय बुद्धिजीवियों ने फीता काटकर भक्ति जागरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मंदिर परिसर में सैकड़ों श्रद्धालु जुटे और देर रात तक भक्ति गीतों में डूबे रहे। 68 वर्षों से जारी परंपरा मेला मालिक राहुल सिंह ने बताया कि श्री भोनू बाबू अनंत नारायण-लक्ष्मी मंदिर में पिछले 68 वर्षों से अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा अनवरत जारी है। इस दो दिवसीय आयोजन में पंचायत और स्थानीय लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। मंदिर के संचालक उमा कांत सिंह ने बताया कि उनके पिता स्व. भुवनेश्वर प्रसाद सिंह को वर्ष 1957 में स्वप्न में भगवान अनंत के दर्शन हुए थे। इसके बाद उन्होंने मंदिर में अनंत भगवान की प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू की। यह परंपरा आज भी परिवार की धरोहर के रूप में कायम है। धार्मिक महत्व और मान्यता मंदिर के पुजारी पंडित ज्योतिषाचार्य शिवादित्य पांडे ने बताया कि अनंत सूत्र में 14 गांठें लगाई जाती हैं, जो भगवान विष्णु द्वारा बनाए गए 14 लोकों का प्रतीक हैं—सत्य, तप, जन, मह, स्वर्ग, भुवः, भू, अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु ने इन लोकों की रक्षा के लिए 14 अवतार लिए। अनंत चतुर्दशी की पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख-शांति, वैभव व यश की प्राप्ति होती है। पुजारी ने यह भी कहा कि लगातार 14 वर्ष तक यह व्रत करने से विष्णु लोक की प्राप्ति हो सकती है। सामुदायिक सहयोग और एकता का संदेश इस आयोजन को सफल बनाने में उमा कांत सिंह, राहुल सिंह, दिनकर सिंह, अमन सिंह, राजीव रंजन सिंह, गीता देवी, चंदा देवी, खुशबू सिंह चौहान, रूपम रानी सहित दर्जनों श्रद्धालुओं ने योगदान दिया। अनंत चतुर्दशी का यह पर्व अररिया में भक्ति, परंपरा और सामुदायिक एकता का प्रतीक बनकर उभरा।

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