सांसद डॉ. जावेद ने रक्षा मंत्री से की मुलाकात:किशनगंज में आर्मी कैंप के लिए उपजाऊ भूमि अधिग्रहण पर चिंता जताई
किशनगंज सांसद डॉ. मोहम्मद जावेद ने आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। उन्होंने बहादुरगंज और कोचाधामन ब्लॉकों में प्रस्तावित आर्मी कैंप के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर हजारों छोटे और सीमांत किसानों तथा भूमिहीन खेतिहर मजदूरों की चिंताओं से अवगत कराया। सांसद ने इस संबंध में एक विस्तृत पत्र भी सौंपा। रक्षा मंत्रालय ने किशनगंज जिले की नटुआपारा पंचायत (बहादुरगंज ब्लॉक) और बृजन पंचायत (कोचाधामन ब्लॉक) में लगभग 260 एकड़ अत्यधिक उपजाऊ निजी कृषि भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की है। अधिग्रहण से छोटे किसान और मजदूर प्रभावित होंगे यह भूमि खतियानी के रूप में दर्ज है और मुख्य रूप से पुलिस स्टेशन नंबर 380, 381 (मौजा सकोर, नटुआपारा) तथा 386 (मौजा सतभिटा) के अंतर्गत सतभिटा, सकोर, नटुआपारा व आसपास की बस्तियों में फैली हुई है। इस अधिग्रहण से हजारों छोटे किसान परिवार और गरीब खेतिहर मजदूर प्रभावित होंगे, जिनके लिए यह भूमि आजीविका का एकमात्र स्रोत है। सांसद डॉ. जावेद ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में आर्मी कैंप की स्थापना पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि, उन्होंने सुझाव दिया कि किशनगंज व आसपास के जिलों में बस्तियों से उचित दूरी पर कम उपजाऊ, बंजर या सरकारी गैर-कृषि भूमि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। उन्होंने आग्रह किया कि कैंप को ऐसी ही वैकल्पिक जगह पर स्थानांतरित किया जाए, ताकि समाज के सबसे गरीब वर्ग पर विस्थापन और गरीबी का बोझ न पड़े। पत्र में तीन प्रमुख अनुरोध किए गए हैं। पहला, किशनगंज में मौजूदा जगह पर भूमि अधिग्रहण की सभी आगे की कार्रवाई तुरंत रोकी जाए। दूसरा, रक्षा मंत्रालय, बिहार सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की एक संयुक्त टीम गठित कर उपयुक्त वैकल्पिक स्थान की पहचान की जाए, जिससे किसानों का बड़े पैमाने पर विस्थापन न हो। मुद्दा न केवल आर्थिक, बल्कि मानवीय संवेदनशीलता का है तीसरा, भविष्य के किसी भी अधिग्रहण में 2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम के सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन, जन सुनवाई और पुनर्वास प्रावधानों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए। डॉ. जावेद ने कहा, "यह मुद्दा न केवल आर्थिक, बल्कि मानवीय संवेदनशीलता का है। हम रक्षा जरूरतों का सम्मान करते हैं, लेकिन गरीब किसानों की रोटी छीनना उचित नहीं है। रक्षा मंत्री से सकारात्मक प्रतिक्रिया की अपेक्षा है।" यह घटना बिहार में भूमि अधिग्रहण को लेकर बढ़ती बहस को नई दिशा दे सकती है, जहां विकास परियोजनाओं के नाम पर किसानों के हित अक्सर दांव पर लग जाते हैं।
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