हेल्थ रिपोर्टर|मधुबनी स्वास्थ्य विभाग में भले ही आए दिन नए नए भवन बन रहें हो लेकिन अभी भी बुनियादी सुविधाओं से सदर अस्पताल के कई विभाग जूझ रहें हैं। उसी में से एक है सदर अस्पताल का जांच घर। यहां अत्याधुनिक मशीन की तो बात दूर वर्षों पुराने मशीनों से ही एक संकीर्ण कमरे में जांच की जाती है। अपडेट मशीन के लिए भी विभाग को कई बार लिखा गया है लेकिन स्थिति जस की तस है। शनिवार को भी सीबीसी मशीन खराब हो गया जिस वजह से हीमोग्लोबिन जांच नहीं हो रही है। जांच रूम भी पूरी तरह वातानुकूलित नहीं है व आए दिन एसी खराब हो जाता है जिससे गुणवत्ता पूर्ण जांच पर भी सवाल खड़े होते हैं। ये 24 घंटे संचालित सेवा एलटी की भी कमी है। पूर्व में इस जांच घर को मॉडल अस्पताल भवन में शिफ्ट किया गया था लेकिन पीपीपी मोड में एक नया जांच घर को वहां शिफ्ट किया गया जिसके बाद सदर अस्पताल के जांच घर को पुन: पुराने ओपीडी में शिफ्ट कर दिया गया। पीपीपी मोड में संचालित जांच घर भी कोर्ट से संबंधित मामला फंसने की वजह से बंद कर दिया गया लेकिन सामान अभी भी मॉडल अस्पताल भवन में रखा हुआ है जिस वजह से फिर से वहां शिफ्ट भी नहीं किया जा सकता है। वहीं, मॉडल भवन में पीपीपी मोड में संचालित एजेंसी द्वारा कैसे महीनों से कब्जा रखा गया है, यह भी बड़ा सवाल है। स्थिति यह है कि सदर अस्पताल के जांच केंद्र में प्रतिदिन औसत 150-175 मरीजों की 600-700 जांच किया जाता है वो भी सेमी एनेलाइजर मशीन से। जबकि तकनीशियन व चिकित्सक की माने तो यहां फूली ऑटो एनालाइजर मशीन की जरूरत है। इतने छोटे कमरे में ही टेस्टिंग, सैंपल कलेक्शन व रजिस्ट्रेशन तक होता है। ऐसे में काफी भीड़ भी जांच घर में लगी रहती है। जिस वजह से धूल आदि भी केमिकल, मशीन आदि पर पड़ती रहती है। पैथोलॉजिस्ट डॉ. कुणाल कौशल ने बताया कि मशीन को अपडेट करने व जगह बदलने के लिए विभाग को कई बार लिखा गया है। मानक के अनुरूप जांच घर व तकनीशियन नहीं है।