पूर्णिया में काली पूजा को लेकर शहरवासियों में उत्साह है। मां काली के दर्शन के लिए शहर के प्रमुख पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। भट्टा दुर्गाबाड़ी पूजा पंडाल में विराजमान मां काली की प्रतिमा लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां पिछले 41 सालों से मां की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। बंगाली रीति रिवाज से पूजा-अर्चना का दौर जारी है। यहां 1984 से ही मां काली की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। पूजा समिति ने इस बार अनूठे कांसेप्ट पर पंडाल तैयार कराया है> पंडाल से लेकर प्रतिमा को बंगाल से आए अनुभवी कलाकारों ने तैयार किया है। पूरे परिसर को पारंपरिक बंगाली साज-सज्जा, लाल -सुनहरे रंगों की रोशनी और झूमरों से सजाया गया है। काली पूजा की कुछ ऐसी ही रंगत रजनी चौक, मधुबनी स्थित मां काली के पूजा पंडालों में दिखाई दे रही है। यहां मां काली की झलक पाने भर को लोगों का तांता लगा हुआ है। श्रद्धालुओं में भारी उत्साह पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि भट्टा दुर्गाबाड़ी में हर साल मां काली की पूजा बंगाली परंपरा और वैदिक विधान से की जाती है। दीवाली की अमावस्या की आधी रात बंगाली रीति रिवाजों से मां काली की विशेष पूजा-अर्चना की गई। वैदिक मंत्रोच्चारण और ढाक की थाप पर शुरू हुई आरती से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। काली पूजा को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है। म्यूजिकल नाइट का होगा आयोजन पूजा के अवसर पर 24 अक्टूबर की रात म्यूजिकल नाइट और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसमें स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ पड़ोसी जिलों के कलाकार भी प्रस्तुति देंगे। कार्यक्रम में भक्ति संगीत, नृत्य नाटिका और पारंपरिक बंगाली धुनों की प्रस्तुति दी जाएगी।