नाव हादसा व डूबने से बचाव के लिए स्कूली बच्चों को दिया गया प्रशिक्षण
भास्कर न्यूज| शिवाजीनगर मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के तहत शिवाजीनगर प्रखंड में सुरक्षित शनिवार का आयोजन पूरे उत्साह और जागरूकता के साथ किया गया। अक्टूबर माह के प्रथम शनिवार को आयोजित इस विशेष कार्यक्रम का मुख्य विषय नाव दुर्घटना एवं डूबने से बचाव रहा, जिसके अंतर्गत प्रखंड के सभी विद्यालयों में छात्रों को पानी से जुड़ी दुर्घटनाओं, सावधानियों और प्राथमिक उपचार के तरीकों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई।कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में जल सुरक्षा के प्रति चेतना जागृत करना और उन्हें आपातकालीन स्थिति में आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार करना था। बारिश, बाढ़, छठ जैसे त्योहारों या मेलों के दौरान नदी, तालाब और नहरों के आसपास अक्सर बच्चे और आम लोग असावधानीवश दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, इस जागरूकता अभियान के जरिए यह समझाया गया कि थोड़ी सी सतर्कता बड़े हादसों से बचा सकती है। यह कार्यक्रम प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय जगदर, पुरन्दाही, बंधार, कनखरिया, गोसाई पोखर, उत्क्रमित मध्य विद्यालय कलवारा, चितौरा बेला, शंकरपुर, मधुरापुर तथा मध्य विद्यालय रानीपरती समेत अन्य विद्यालयों में एक साथ आयोजित हुआ। इन स्कूलों में छात्र-छात्राओं, प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों ने कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लिया।कार्यक्रम के दौरान छात्रों को बताया गया कि नदी या गहरे पानी के पास खेलने से बचना चाहिए। अनावश्यक रूप से पानी में न उतरें और न ही दूसरों को ऐसा करने दें। नाव में चढ़ते समय भीड़ न लगाना, अनुशासन बनाए रखना और संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। बच्चों को यह भी सिखाया गया कि अगर कोई व्यक्ति डूब रहा हो, तो बिना तैयारी पानी में कूदना खतरनाक हो सकता है। ऐसी स्थिति में आसपास उपलब्ध वस्तुएं जैसे धोती, साड़ी, रस्सी, बांस या लकड़ी का इस्तेमाल कर व्यक्ति को बाहर निकालने की कोशिश करनी चाहिए।अगर कोई व्यक्ति डूब गया है और उसे बाहर निकाला गया है, तो प्राथमिक उपचार कैसे देना है, इसकी भी जानकारी दी गई। सीपीआर कृत्रिम श्वसन की प्रक्रिया, छाती पर दबाव देकर पानी बाहर निकालने की विधि और जीवन रक्षक प्राथमिक उपायों को विद्यार्थियों को व्यावहारिक रूप से समझाया गया। शिक्षकों ने बताया कि इस तरह की आपात स्थितियों में घबराना नहीं चाहिए, बल्कि शांत रहकर त्वरित कार्रवाई करना जरूरी होता है।कार्यक्रम के एक महत्वपूर्ण हिस्से में ‘क्या करें और क्या न करें’ पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया। बिना तैराकी ज्ञान या सुरक्षा उपकरण के पानी में उतरना जोखिम भरा शिक्षकों ने बताया कि बिना तैराकी का ज्ञान या सुरक्षा उपकरण के पानी में उतरना जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए हमेशा किसी वयस्क की निगरानी में ही पानी के पास जाएं और खतरे की स्थिति में तुरंत शोर मचाकर सहायता प्राप्त करें। इस जागरूकता अभियान में विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकगणों की सराहनीय भूमिका रही। इस दौरान पूर्व बीआरपी सह प्रधानाध्यापक बालमुकुंद सिंह, एचएम सतनारायण आर्य, अरुण पासवान, सुभाष सिंह, संतोष कुमार, नीलू कुमारी, रामनाथ पंडित, हीरानंद झा, अवधेश चौधरी, प्रवीण कुमार, मो. अब्दुल्लाह, विवेकानंद चौधरी, प्रीती गौतम, आकांक्षा तिवारी, गोपाल कुमार चौधरी तथा पारस नाथ महाराज समेत दर्जनों शिक्षक उपस्थित रहे। उन्होंने न केवल छात्रों को महत्वपूर्ण जानकारियां दीं, बल्कि वास्तविक जीवन से जुड़ी घटनाओं के उदाहरण देकर बच्चों को सतर्क रहने की प्रेरणा भी दी। सुरक्षित शनिवार के तहत चलाया गया यह जागरूकता अभियान बच्चों के जीवन को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विद्यालयों में इस तरह के प्रशिक्षण नियमित रूप से होते रहें, तो निश्चित रूप से बच्चों में आपदा से निपटने की समझ विकसित होगी और वे स्वयं के साथ-साथ दूसरों की भी मदद करने में सक्षम बनेंगे।
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