दो दिनों से हो रही झमाझम बारिश और हवाओं से खेतों में धान की फसल गिरी
सिटी रिपोर्टर | शेखपुरा जिल में चक्रवाती तूफान मोंथा का प्रभाव साफ तौर पर देखा जा रहा है। विगत दो दिनों से रुक-रुककर हो रही बारिश के चलते यहां का मौसम पूरी तरह से ठंड में बदला गया है। तूफानी बारिश ने किसानों की पकी हुई धान की फसलों को भारी नुकसान पहुँचाया है। बुधवार से शुरू हुई रुक-रुक कर बारिश गुरुवार की रात से शुक्रवार सुबह तक तेज हो गई, जिससे खेतों में पानी भर गया और तेज हवाओं के कारण धान की फसलें गिर गईं। किसानों को अब पकी हुई फसल के सड़ने का डर सता रहा है। बारिश के साथ ही ठंडी हवा चल रही है, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। शुक्रवार को जिले का अधिकतम तापमान 25.1 और न्यूनतम तापमान 23.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। बारिश के कारण सबसे ज्यादा परेशान किसान हैं। खेतों में खड़ी धान की फसल गिरने लगी है। गुरुवार की शाम से जिले में शुरू हुई तेज बारिश शुक्रवार को दिन भर जारी रही। बीते 24 घंटे में जिले में औसतन 4.10 एमएम बारिश हुई। वही मौसम विभाग के मुताबिक मोंथा चक्रवात के प्रभाव से शनिवार तक जिले में कहीं हल्की तो कहीं भारी बारिश की आशंका बनी हुई है। इसके अलावा 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा भी चल सकती है। अरियरी प्रखंड के किसान धर्मेंद्र चौहान, धीरू महतो, बिनोद महतो इत्यादि ने बताया कि अत्यधिक पानी के कारण फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। उन्होंने बैंकों और साहूकारों से कर्ज लेकर खेती की थी और अच्छी फसल से कर्ज चुकाने की उम्मीद थी, लेकिन तूफान ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। किसानों के अनुसार, धान की फसल बर्बाद होने के साथ-साथ उन्हें खेतों की सफाई पर भी पैसा खर्च करना पड़ेगा। इसके चलते अगली रबी फसल की बुवाई भी समय पर नहीं हो पाएगी, जिससे उन्हें और अधिक आर्थिक नुकसान होने की आशंका है। टाल में मसूर व सरसों की फ़सलों को नुकसान दाल का कटोरा कहे जाने वाले घाटकुसुम्भा टाल के किसानों को बारिश से भारी नुकसान पहुंचा है। डीहकुसुम्भा के किसान सीधेश्वर महतो, महेन्द्र यादव, सेवानिवृत शिक्षक शिवनंदन प्रसाद नें बताया कि यहाँ पहले बाढ़ नें भीषण तबाही मचाई। जिससे धान की फ़सल बाढ़ में डूबने से बर्बाद हो गई। बाढ़ का पानी हटने के बाद किसानों नें खेत में मसूर और सरसों की आगात फ़सल लगाई। अब दो दिनों से भीषण बारिश का पानी खेतों में जमा हो गया है। मसूर की फ़सल धरती से निकलकर बारिश की भेंट चढ़ गए है। जिन खेतों में बीज बोये गए हैं, अब उनका धरती से निकलना मुश्किल हो गया है। जिससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
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