गौरा पंचायत में अस्पताल, न डॉक्टर न दवा:आजादी के समय बना भवन अब बदहाल
सीतामढ़ी प्रखंड के गौरा गांव में आयुर्वेदिक अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। कभी यह अस्पताल ग्रामीणों के इलाज का केंद्र था और गांव की शोभा बढ़ाता था, लेकिन आज यहां न तो कोई वैद्य है, न दवाएं और न ही कोई कर्मचारी। यह अस्पताल आजादी के बाद गौरा गांव के लोगों के इलाज के लिए स्थापित किया गया था। अपनी स्थापना के बाद, यहां इलाज के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती थी। समय के साथ, सरकार और लोगों की रुचि अंग्रेजी दवाओं की ओर बढ़ने लगी, जिससे आयुर्वेदिक अस्पताल का महत्व कम होता गया। धीरे-धीरे यहां वैद्य और अन्य कर्मियों की संख्या घटती गई, और भवन भी जर्जर हालत में पहुंच गया। वर्ष 2002 में, तत्कालीन विधायक भोला राय ने अपने विधायक ऐच्छिक कोष से अस्पताल के भवन का निर्माण कराया था। इसका उद्घाटन तत्कालीन सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री सीताराम यादव ने किया था। हालांकि, इस घोषणा के दो दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, अस्पताल में न तो दवाएं उपलब्ध हैं, न कोई वैद्य है और न ही कोई अन्य कर्मी नियुक्त किया गया है। परिणामस्वरूप, यह नवनिर्मित भवन भी बेकार साबित हो रहा है। जिला परिषद सदस्य सुनीता देवी ने इस संबंध में बताया कि यह अस्पताल जिला परिषद के अधीन संचालित है। उन्होंने कहा कि इसके सुधार के लिए बार-बार कहा गया है, लेकिन इसकी दुर्दशा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जो चिंता का विषय है। ग्रामीण भाग्यनारायण यादव ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अस्पताल की दुर्दशा की ओर न तो सरकार और न ही कोई प्रतिनिधि ध्यान दे रहा है। लाखों रुपये खर्च कर बनाया गया यह भवन बेकार साबित हो रहा है, और अब लोगों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है।
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