अति पिछड़ा अधिकार मंच के बैनर तले शुक्रवार को औरंगाबाद में महा रैली का आयोजन किया गया। हजारों की संख्या में लोग रैली में पहुंचे। जनसंख्या के हिसाब से राजनीतिक भागीदारी को लेकर हुंकार भरा। शहर के गांधी मैदान में काफी संख्या में लोग पहुंचे। जहां से रैली का आयोजन किया गया। रैली में शामिल लोग जामा मस्जिद व रमेश चौक होते हुए महाराणा प्रताप चौक पहुंचे। जहां एनएच-19 व ओवर ब्रिज से महाराजगंज रोड होते हुए समाहरणालय परिसर स्थित नगर भवन पहुंचे। जहां रैली सभा में तब्दील हो गई। सभा की अध्यक्षता धर्मेंद्र कुमार चन्द्रवंशी व संचालन बबन प्रजापति ने किया। इस दौरान जिले में पहली बार अति पिछड़ा वर्ग के समुचित जाती एक मंच पर दिखे और रैली के माध्यम से राजनीतिक भागीदारी को सुनिश्चित करने को लेकर हुंकार भरा। संबोधन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज का यह कार्यक्रम अति पिछड़ा वर्ग के राजनीतिक भविष्य के नजरिये से ऐतिहासिक है। इस महा रैली से हमारे समाज ने अपनी एकजुटता का परिचय दे दिया है। अति पिछड़ा वर्ग को हल्के में लेने वाले लोगों को रोड पर उतर कर अपना शक्ति का एहसास दिखाया गया है। राजनीतिक भागीदारी में हिस्सेदारी के लिए संघर्ष 38 प्रतिशत के अंतर्गत आने वाली सभी जाती के लोग एक साथ मंच पर आकर यह साबित कर दिया है। अब हम अपनी राजनीतिक भागीदारी को लेकर रहेगें और तब तक संघर्ष जारी रहेगा, जबतक की हमें अपना राजनीतिक भागीदारी और हिस्सेदारी मिल नहीं जाता है। आज समाज ने सभी राजनीतिक दल को यह चेतावनी देने का काम किया है कि अगर इस बार अति पिछड़ा समाज को अनदेखा किया गया, तो उसे यही अति पिछड़ा समाज सत्ता से कोसों दुर कर देगी। इसलिए अति पिछड़ा समाज को ठगना बंद करो, नहीं तो इस बार जो ठगने का काम करेगा उसका खैर नहीं है। 2025 के बिहार विधान सभा चुनाव में अति पिछड़ा समाज में समानता और समाजवादी का झूठा ढकोसला करता है। आगे उन्होंने कहा कि औरंगाबाद के छह विधान सभा में से किसी भी विधानसभा में अबतक अति पिछड़ा को राजनीति हिस्सेदारी आखिर क्यों नहीं दिया गया। क्या समाज सिर्फ वोट देने के लिये है। क्या उसे प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिलना चाहिए। आज अति पिछड़ा समाज अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। यही कारण है कि आज अति पिछड़ा समाज का सड़क पर जनसैलाब उमड़ा है। अति पिछड़ा समाज चुप नहीं रहेगा आगे उन्होंने बताया कि 38% आबादी होने के बावजूद अति पिछड़ा समाज हासिए पर है। जिले में छह विधानसभा सीट है, लेकिन राजनीतिक दलों की ओर से अति पिछड़ा समाज से प्रत्याशी नहीं उतारा जाता है। अति पिछड़ा समाज किसी का सता बनाने या उखाड़ने का ताकत रखती है। फिर भी आज इस समाज का जिले में कोई आंसू पोंछने वाला तक नही है। लेकिन अब अति पिछड़ा समाज चुप रहने वाला नहीं है और अपना राजनीतिक भागीदारी लेकर रहेगा। इस अधिकार रैली के माध्यम से अति पिछड़ा समाज की ओर से मुख्य मांग इस प्रकार रखा गया है। विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी को टिकट देने की मांग अति पिछड़ा समाज को आबादी के अनुसार राजनीतिक भागीदारी देने, केन्द्रीय अति पिछड़ा आयोग का गठन किया जाने की मांग रखी गई। विधानसभा और लोक सभा के चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग के लिये सीट आरक्षित किए जाने, निजी व सरकारी काम में अति पिछडा वर्ग के आबादी के अनुसार आरक्षण सुनिश्चित करने व बिहार विधान सभा के चुनाव में अति पिछड़ा समाज को जिला में टिकट देने की मांग बुलंद की गई।