Darbhanga AIIMS: दरभंगा एम्स बनेगा मॉडर्न मेडिकल टाउनशिप, कैंपस में वाटर हार्वेस्टिंग से पावर जनरेशन तक की सुविधा
मुख्य बातें
Darbhanga AIIMS: दरभंगा. अजय कुमार मिश्रा. दरभंगा में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एआइआइएमएस) परियोजना को मूर्त रूप देने की दिशा में बड़ी प्रगति हुई है. परियोजना प्रबंधन कर रही एचएससीसी (हॉस्पिटल सर्विसेज कंसल्टेंसी कॉरपोरेशन) को विभाग की ओर से पर्यावरणीय मंजूरी मिल गयी है. इसे लेकर औपचारिक आवेदन दाखिल किया गया था. लगभग 7,36,528 वर्गमीटर भूखंड पर विकसित होने वाली यह परियोजना बिहार के सबसे बड़े स्वास्थ्य व मेडिकल शिक्षा केंद्रों में शुमार होगी. 2,08,400.589 वर्गमीटर का निर्माण क्षेत्र होने की वजह से पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना के अंतर्गत यह श्रेणी ‘बी’ में आता है.
दरभंगा एम्स को मिली पर्यावरणीय मंजूरी
दरभंगा एम्स को पर्यावरणीय मंजूरी मिलने के कई महत्वपूर्ण लाभ होंगे. बड़ी परियोजनाओं जैसे अस्पताल, कॉलेज आदि के लिए पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करना अनिवार्य होता है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परियोजना के पर्यावरण पर प्रभाव को आकलित, नियंत्रित और कम किया जा सके. परियोजना की कुल लागत 807 करोड़ रुपये अनुमानित है. एम्स के भवनों की अधिकतम ऊंचाई करीब 30 मीटर होगी. यह परिसर एक आधुनिक मेडिकल टाउनशिप के रूप में विकसित होगा. यह बिहार के स्वास्थ्य ढांचे को नई पहचान देगा. बताया जाता है कि 2029 तक प्रोजेक्ट पूरा हो जायेगा.
परियोजना क्षेत्र और भूमि उपयोग
जानकारी के अनुसार एम्स के कुल भूखंड में से 4,81,598.17 वर्ग मीटर क्षेत्र का विकास पहले चरण में किया जाएगा, जबकि 2,54,929.83 वर्ग मीटर क्षेत्र भविष्य के लिए आरक्षित रहेगा. परिसर में 1,03,774.33 वर्गमीटर हरित क्षेत्र विकसित होगा. पार्किंग के लिए 88,923 वर्ग मीटर का प्रावधान किया गया है. एक अनुमान के अनुसार अस्पताल व ओपीडी से प्रतिदिन लगभग 850 किलोग्राम बायोमेडिकल वेस्ट उत्पन्न होगा. परिसर में 10,900 किलोवॉट बिजली की आवश्यकता होगी, जिसके लिए 14,500 केवीए की डीजी बैकअप व्यवस्था रहेगी.
वर्षा जल संचयन के लिए बनेंगे 12 छोटे तालाब
परियोजना में 37.70 घन मीटर क्षमता वाले 12 वर्षा जल संचयन छोटे तालाब बनेंगे. वहीं गैर-आवासीय और आवासीय भवनों के लिए 700 केएलडी और 570 केएलडी क्षमता वाले दो एसटीपी स्थापित होंगे. वहीं 100 केएलडी क्षमता का इटीपी भी प्रस्तावित है. परिसर की कुल जल आवश्यकता 2,070 केएलडी होगी, जिसमें 1,112 केएलडी भू-जल और 958 केएलडी उपचारित जल से पूरी होगी. दूसरी ओर दैनिक सीवेज उत्पादन 1,064 केएलडी और ठोस अपशिष्ट उत्पादन 2,437 किलोग्राम अनुमानित है. इसमें 1,462 किलोग्राम जैव-अवक्रमणीय और 975 किलोग्राम गैर-जैव-अवक्रमणीय कचरा शामिल है.
ऐसा होगा मुख्य भवन ये रहेगी सुविधाएं
एम्स के मुख्य अस्पताल ब्लॉक (ए से डी) जी पल्स फाइव ऊंचाई के होंगे. इनमें 13,418.11 वर्ग मीटर क्षेत्र में 720 बिस्तरों की व्यवस्था रहेगी. इसके अलावा ओपीडी ब्लॉक, ऑन्कोलॉजी, रेडियो डायग्नोस्टिक, आयुष ब्लॉक, मोर्चरी, अस्पताल सेवा केंद्र तथा 750 सीट वाला ऑडिटोरियम भी शामिल है. वहीं शैक्षणिक परिसर में 150 छात्रों के लिए जी पल्स फाइव मेडिकल कॉलेज और 100 नर्सिंग छात्रों के लिए जी पल्स फोर नर्सिंग कॉलेज का निर्माण प्रस्तावित है.
आवास एवं छात्रावास की उच्च स्तरीय व्यवस्था
परियोजना के तहत कर्मचारियों और चिकित्सकों के लिए टाइप टू से टाइप पांच श्रेणी के आवासीय भवन (जी पल्स फाइव से जी पल्स आठ) बनाए जाएंगे. छात्रावासों में यूजी छात्रों के लिए 342 बिस्तर, पीजी छात्रों के लिए 312 कमरे और नर्सिंग छात्रों के लिए 400 बिस्तरों की व्यवस्था होगी. परिसर में 1,200 सीट का मेस, नाइट शेल्टर, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, गेस्ट हाउस, ईएसएस बिल्डिंग एवं चिकित्सा कचरा प्रबंधन केंद्र भी होंगे.
परिसर में लगाए जाएंगे 9207 पेड़
दरभंगा एम्स स्थल दरभंगा जंक्शन से 7.10 किमी, लहेरियासराय स्टेशन से आठ किमी व दरभंगा एयरपोर्ट से 9.20 किमी दूर होगा. एनएच-27 और एनएच-322 भी समीप स्थित है. अस्पताल, एकडमिक एवं आवासीय आवश्यकताओं सहित कुल 2,070 केएलडी दैनिक जल खपत का आकलन किया गया है. एचवीएसी कूलिंग के लिए 640 केएलडी तथा हरित क्षेत्र सिंचाई के लिए 200 केएलडी उपचारित जल का उपयोग होगा. परिसर में 9,207 पेड़ लगाए जाने की बात कही गयी है.
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