दरभंगा के 2 गांव में एक दिन पहले मनाई दिवाली:नवादा में मां जगदम्बा का दरबार भव्य तरीके से सजाया; उल्का फेरी की परंपरा भी निभाई जाती

Oct 20, 2025 - 00:30
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दरभंगा के 2 गांव में एक दिन पहले मनाई दिवाली:नवादा में मां जगदम्बा का दरबार भव्य तरीके से सजाया; उल्का फेरी की परंपरा भी निभाई जाती
दरभंगा के बेनीपुर प्रखंड क्षेत्र के नवादा गांव और बहेड़ी प्रखंड के पघारी गांव में रविवार को ही दीपों का त्योहार मनाया गया। दोनों गांवों में दीपावली एक दिन पहले मनाने की सदियों पुरानी परंपरा आज भी कायम है। नवादा गांव में इस अवसर पर प्रसिद्ध मां जगदंबा मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया। मंदिर परिसर में सैकड़ों दीए जलाकर श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। ग्रामीणों ने बताया कि नवादा गांव का दरभंगा राजपरिवार से ऐतिहासिक संबंध रहा है। पहले राजपरिवार में दीपावली एक दिन पहले मनाई जाती थी, उसी परंपरा को गांव वाले आज भी निभा रहे हैं। गांव के गीतकार, संगीतकार सह साहित्यकार डॉ. चंद्रमणि झा ने बताया कि इस परंपरा के पीछे गहरे पौराणिक और सांस्कृतिक कारण हैं। उन्होंने कहा कि “रामायण के अनुसार शिव के हनुमंत अवतार का जन्म कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हुआ था। हनुमान मिथिला की बेटी अंजनी के बेटे थे, इसलिए मिथिला नरेश के दरबार में इसी तिथि को दीपोत्सव मनाया जाता था।”डॉ. झा ने आगे बताया कि श्रीकृष्ण ने नरकासुर वध और बंदी कन्याओं की मुक्ति भी इसी तिथि को की, जिसे मिथिला में ‘विजयोत्सव दिवस’ के रूप में मनाने की परंपरा रही है। उल्का फेरी की परंपरा भी निभाई जाती इसी तरह बहेड़ी प्रखंड के पघारी गांव में भी चतुर्दशी तिथि को ही दीपावली मनाई गई। यहां के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में ‘दीप’ जलाने और उल्का फेरी’ की परंपरा भी निभाई जाती है। एक दिन पहले इस अवसर पर गांव की महिलाएं पारंपरिक परिधान में दीप जलाकर यमराज की पूजा करती हैं। अगले दिन दीपावाली मनाती हैं। ग्रामीण प्रदीप कुमार चौधरी ने बताया कि “अज्ञानता रूपी अंधेरा को दूर करने वाले ज्ञान के प्रतीक हनुमान का जन्म इसी दिन हुआ था, इसलिए हमलोग चतुर्दशी को दीपावली मनाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि को भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी और नरकासुर का वध कर सोलह हजार कन्याओं को मुक्त कराया था।” उन्होंने आगे बताया कि इस पर्व का धार्मिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक तीनों दृष्टि से विशेष महत्व है। त्रेता युग में इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से पृथ्वी लोक को फिर से देवताओं को लौटाया था। उस समय भगवान विष्णु ने राजा बलि को आशीर्वाद दिया था कि “आपके राज्य में दीप जलाकर मेरी स्मृति में लोग दीपावली मनाएंगे।” मंदिरों में भी दीप जलाते प्रदीप चौधरी ने कहा, “हमारे गांव में यह परंपरा पुराने काल से चली आ रही है। गांव वाले न केवल घरों में, बल्कि खेत-खलिहानों और मंदिरों में भी दीप जलाते हैं। मान्यता है कि इससे न केवल घर-आंगन प्रकाशित होते हैं, बल्कि जीवन में ज्ञान, सुख और समृद्धि का प्रकाश भी फैलता है।” उन्होंने बताया कि नवादा गांव की यह परंपरा अब आसपास के इलाकों में भी लोकप्रिय हो रही है। कई लोग इस अनूठी मान्यता के कारण यहां की दीपावली देखने और भाग लेने आते हैं। गांव में आयोजित दीपोत्सव में सभी जाति और समुदायों के लोगों ने भाग लिया। यहां तक कि मुस्लिम समाज के लोग भी दीप जलाकर इस उत्सव में शामिल हुए। ग्रामीण शशिकांत चौधरी ने बताया कि “पूर्वजों से चली आ रही यह परंपरा हमारी पहचान है। बेनीपुर के नवादा और बहेड़ी के पघारी गांव में आज भी दीपावली से एक दिन पहले दीपोत्सव मनाकर हम अपने सांस्कृतिक गौरव को सहेज रहे हैं।” दरभंगा की इन दो गांवों में आज भी दीपावली सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि परंपरा और आस्था का संगम है।

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