सिटी रिपोर्टर|मधुबनी छठ महापर्व के आयोजन में अब महज औपचारिकता ही बाकी है। अब इसके आयोजन में दिन के बजाय घंटे की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। अब इसके आयोजन में लगभग 120 घंटो से भी कम का समय रह गया है। वहीं दूसरी तरफ छठ पर्व के सुगमतापूर्वक आयोजन को लेकर निगम प्रशासन जद्दोजहद कर रही है। आधे-अधूरे संसाधनों के सहारे सभी प्रकार की तैयारी को अंतिम रूप दिए जाने को लेकर जैसे-तैसे कार्य चल रहा है। इसमें घाटों की साफ-सफाई से लेकर सजाए जाने तक में निगम प्रशासन पूरी तरह से प्रयास कर रहा है। हालांकि कई घाटों की साफ-सफाई को लेकर निगम प्रशासन के प्रति लोगों में नाराजगी भी देखी जा रही है। निगम प्रशासन अपनी निश्चित रणनीति के तहत प्राथमिकता के तौर पर उन घाटों पर अधिक फोकस कर रहा है जहां श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ जुटती है। ऐसे घाटों की श्रेणी में सबसे पहले पायदान पर काली मंदिर परिसर स्थित गंगा सागर तालाब है। यहां पर तकरीबन शहर की पूरी आबादी का लगभग 40 प्रतिशत से अधिक श्रद्धालु छठ पर्व पर पहुंचते हैं। इसके बाद नगर निगम तालाब, मुरली मनोहर तालाब, महासेठी पोखर, पुलिस लाइन तालाब का स्थान आता है जहां पर शहर की बाकी आबादी पूजा को लेकर पहुंचती है। शहरी क्षेत्र के कई तालाब ऐसे हैं जिनके पानी को साफ किए जाने की अबतक प्रकिया भी प्रारंभ नहीं हुई है। वहीं जहां कहीं उक्त कार्य प्रारंभ भी किया गया है तो इसके लिए केवल औपचारिकता पूरी की है है। अब जबकि पर्व के आयोजन में पांच दिन का समय रह गया है ऐसे में पानी साफ करने की योजना कहीं तैयारी तक ही सिमट कर न रह जाए इसकी आशंका भी लोगों को सताने लगा है। जबकि सबसे अधिक दूषित तालाब मुख्यालय में ही है। कारण मुख्यालय के अधिकांश तालाबों का जुड़ाव नालियों से है। इसलिए मुख्यालय के तालाबों के पानी का सफाई किया जाना अनिवार्य हो जाता है। वहीं व्रतियों की मानें तो उनलोगों को तकरीबन दो घंटे के आसपास खड़ा होना पड़ता है। ऐसे में पानी गंदा होगा तो उनलोगों की मुश्किल बढ़ सकती है। ऐसे तालाबों में नगर निगम तालाब, महादेव मंदिर पोखड़ा, सूड़ी स्कूल पोखरा सहित कई अन्य तालाब शामिल है, जिसका पानी पूरी तरह से दूषित है। इस पानी में व्रती के लिए खड़ा होकर अर्घ्य देना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। कारण दूषित पानी से कई प्रकार की समस्याओं से सामना करना पड़ सकता है।