70% कम हुए बचपन में हाथ पीले करने के मामले

Sep 30, 2025 - 04:30
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70% कम हुए बचपन में हाथ पीले करने के मामले
राकेश कुमार सिंह |पटना कम उम्र में लड़कियों को वैवाहिक बंधन में बांध देने की कुप्रथा खासतौर से बिहार में काफी प्रचलन में रही है। महिलाओं के उत्थान की योजनाओं को लागू किए जाने और लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहन के बाद अब हालात तेजी से बदल रहे हैं। एक सर्वे के मुताबिक बिहार में बालिका विवाह के आंकड़ों में 70 फीसदी की कमी आई है। वहीं बच्चों की विवाह दर में 68 फीसदी कमी आई है। ये आंकड़े उत्साहवर्द्धक हैं। इससे उम्मीद की जा सकती है कि 2030 तक बाल विवाह का बिहार से पूरी तरह खात्मा संभव है। ये आंकड़े एक शोध रिपोर्ट के हैं। ‘टिपिंग प्वाइंट टू जीरो : एविडेंस टूवार्ड्स ए चाइल्ड मैरेज फ्री इंडिया’ के अनुसार बिहार में लड़कियों व लड़कों के बाल विवाह की दर में कमी आई है। यह रिपोर्ट बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए 250 से भी अधिक नागरिक संगठनों के नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन (जेआरसी) ने जारी की है। रिपोर्ट जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के सहयोगी संगठन इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की पहल पर सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंड बिहैवियरल चेंज फॉर चिल्ड्रन (सी-लैब) ने तैयार की है। बिहार के 150 गांवों में हुए इस सर्वे में 92% प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके गांवों में बाल विवाह या तो पूरी तरह बंद हो गया है या काफी हद तक इस पर लगाम लग चुकी है। साथ ही, 99% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें बाल विवाह की रोकथाम से संबंधित कानूनों के बारे में मालूम है और 89% ने कहा कि यह जानकारी उन्हें गैरसरकारी संगठनों से मिली। इसके अलावा 82% ने कहा कि उन्हें सामुदायिक बैठकों में यह जानकारी मिली। इस रिपोर्ट के नतीजों से उत्साहित स्व. कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान के सचिव सुधीर कुमार शुक्ला ने कहा, “बाल विवाह के मामले में बिहार देश के शीर्ष राज्यों में शुमार रहा है। लेकिन अब बदलाव की धारा बह रही है और हमें बाल विवाह की रोकथाम के मोर्चे पर अप्रत्याशित नतीजे मिले हैं। वैशाली, बक्सर एवं सीवान जिले में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के सहयोगी संगठन स्व. कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान ने पिछले तीन वर्षों में दो हजार से ज्यादा बाल विवाह रुकवाए हैं। रिपोर्ट आगे कहती है कि राज्य में 97 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने जागरूकता अभियानों को बाल विवाह के खिलाफसबसे प्रभावी औजार करार दिया। बाल विवाह के पीछे ये हैं वजहें रिपोर्ट के अनुसार बाल विवाह करने वाले परिवार के 90 परसेंट लोगों की यह सोच होती है कि हम गरीब हैं। बचपन में ही बेटे-बेटी का विवाह कर दें। अन्यथा बाद में परेशानी ज्यादा होगी। वहीं 65 परसेंट विवाहों के पीछे शादी के लिए अच्छा परिवार व अच्छा जोड़ीदार का मिल जाना अहम वजह होती है। सुरक्षा वजहों से 39 फीसदी परिवार बाल विवाह को प्राथमिकता देते हैं। कई परिवार उपर्युक्त में दो वजहों तो कई तीनों वजहों से बाल विवाह करते हैं।

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