सुरों और यादों ने गढ़ा शारदा सिन्हा का चेहरा
भावनाओं के सागर में सुरों की लहरों और यादों की लकीरों ने बिहार की स्वर कोकिला पद्म विभूषण शारदा सिन्हा का मुस्कुराता हुआ जीवंत चेहरा गढ़ दिया। रवीन्द्र भवन में शनिवार को शारदा सिन्हा आर्ट एंड कल्चर फाउंडेशन की ओर से शारदा सिन्हा की स्मृति में एक भावपूर्ण सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। इसमें लोक संगीत के सिद्धहस्त कलाकारों ने शारदा सिन्हा के अमर गीतों को अपनी आवाज में गाकर उनको श्रद्धांजलि दी। किसी ने दीदी तो किसी ने मां कहते हुए उनको याद किया। देशभर में अपनी गायिकी से पहचान बनाने वाले बिहार के लोक गायक सीताराम सिंह ने उनको अपने संघर्ष के दिनों का हमसफर बताया। उन्होंने कहा कि 1969 से गायिकी के क्षेत्र में हम साथ रहे। इस अवसर पर उन्होंने पद्म विभूषण शारदा सिन्हा की बेटी वंदना सिन्हा के साथ जब मंच साझा किया तो भावुक हो गए, कहा- मैंने वंदना को गोद में खिलाया है और आज यह मेरे साथ बैठकर गा रही है, मैं खुश भी हूं और भावुक भी। वंदना सिन्हा ने सीताराम सिंह के साथ जब गाया बलमू न जइह विदेशवा नाहि त जनिह, तोहरा के लागे हमार किरिया... तो लगा सभागार में शारदा सिन्हा की प्रतिध्वनि गूंज रही हो। चर्चित गायक सत्येन्द्र संगीत ने छठ गीत, छठी मैया आईं न दुअरिया सजाइब हो... गाया तो छठ का पावन अहसास एक बार फिर से उभर आया।
बलमू न जइह विदेशवा... और अमवा-महुवा के झूमे डरिया पर झूमे सब इस कार्यक्रम में चंदन तिवारी ने, अपना सजिनया के नाहि बिसरइह, कबो-कबो सपना में आइके जगइह... गाकर खूब वाहवाही बटोरी। रामपुर अयोध्या से आईं भोजपुरी लोक गायिका संजोली पांडे ने अमवा-महुवा के झूमे डरिया,तनी ताक न बलमवा हमार ओरिया... गाकर हॉल में संगीत की मधुर मिठास घोल दी। श्रोता झूमते रहे, देर तक ताली बजती रही। बलिया से आए भोजपुरी कलाकार शैलेन्द्र मिश्रा ने भी अपने लोकगीत से सबको भाव विभोर किया। तृप्ति शाक्या, विजय कपूर, विजया भारती, रजनीश कुमार ने भी ने सांस्कृतिक संध्या के मंच पर शारदा सिन्हा की अमर रचनाओं को फिर से जीवंत किया। कार्यक्रम का भावपूर्ण संचालन जानी मानी उद्घोषिका और नृत्यांगना सोमा चक्रवर्ती ने किया। कार्यक्रम में अनुराग रस्तोगी ने बांसुरी, भोला वर्मा ने तबला, राजेश कुमार ने ढोलक, कीबोर्ड पर शशि भूषण और बैंजो पर रवीन्द्र यादव ने संगत किया। शारदा सिन्हा के पुत्र अंशुमन सिन्हा के निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी उपस्थित रहे। अंशुमन सिन्हा ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य शारदा जी की स्मृतियों को संगीत के माध्यम से जीवित रखना और नई पीढ़ी को उनकी लोकसंस्कृति से जोड़ना था। उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक संध्या केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि शारदा सिन्हा के प्रति प्रेम, आदर और लोकधुनों के प्रति समर्पण का प्रतीक बनी। इस अवसर पर एलएनएमयू के छात्र-छात्राओं ने शारदा सिन्हा के गीतों के प्रस्तुत सामूहिक गायन ने वातावरण को और भी अधिक सुरम्य बना दिया। कार्यक्रम में अभिनेत्री भाग्यश्री, अभिनेता मनोज बाजपेयी, पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा आदि कलाकारों ने अपने वीडियो संदेश के जरिये उनको याद किया और उनके साथ बिताए दिनों और उनके गाए छठ गीतों को याद किया। सांस्कृतिक संध्या शारदा सिन्हा आर्ट एंड कल्चर फाउंडेशन की ओर से पद्म विभूषण शारदा सिन्हा की स्मृति में स्वरों की महफिल सजी
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