राजद राष्ट्रीय सचिव दानिश इकबाल ने AIMIM पर कसा तंज:बोले-ओवैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर ही लड़ेंगे,कार्यकर्ताओं को बताया बदतमीज-बेढ़ंगे

Oct 12, 2025 - 16:30
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राजद राष्ट्रीय सचिव दानिश इकबाल ने AIMIM पर कसा तंज:बोले-ओवैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर ही लड़ेंगे,कार्यकर्ताओं को बताया बदतमीज-बेढ़ंगे
किशनगंज में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सचिव दानिश इकबाल ने रविवार को एक प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं और एआईएमआईएम (AIMIM) पर जमकर निशाना साधा। इकबाल ने कहा कि, विधानसभा चुनाव अपने चरम पर है और उनकी पहली कोशिश बिहार में तेजस्वी यादव की सरकार बनाना है। उन्होंने बताया कि, उन्होंने राजद को लेकर अपनी दावेदारी भी सौंपी थी, लेकिन किशनगंज सीट कांग्रेस के खाते में चली गई है। यह सीट पहले राजद के पास ही थी, जबसे मरहूम तस्लीम उद्दीन साहब यहां से चुनाव हारे, उसके बाद यह कांग्रेस के खाते में गई। जिसे भी टिकट मिलेगा,वे महागठबंधन के लिए लड़ेंगे उन्होंने स्पष्ट किया कि, जिसे भी टिकट मिलेगा, वे सभी मिलकर महागठबंधन के लिए लड़ेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह सीट राजद के पास होती और उन्हें या किसी अन्य कार्यकर्ता को टिकट मिलता, तो कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ता। उन्होंने पार्टी द्वारा सीट के लिए सर्वे के आधार पर भी सवाल उठाए। दानिश इकबाल ने कहा कि,एआईएमआईएम गठबंधन में नहीं है, जबकि राजद गठबंधन में है और यह पार्टी सबको साथ लेकर चल रही है। एआईएमआईएम के 100 सीटों पर चुनाव लड़ने के बयान पर उन्होंने कहा कि ढोल नगाड़े के साथ गठबंधन में शामिल होने के लिए ये सब नाटक करने की क्या जरूरत है। एआईएमआईएम का जनाधार नहीं उन्होंने आरोप लगाया कि, ओवैसी साहब ने एक बार भी मिलने की कोशिश नहीं की, सिर्फ चिट्ठी लिख रहे हैं। इकबाल ने कहा कि एआईएमआईएम का जनाधार नहीं है और ओवैसी साहब वहीं चुनाव लड़ेंगे जहां मुसलमानों की आबादी ज्यादा है। एआईएमआईएम के उन आरोपों पर कि राजद ने उनके विधायक खरीदे, दानिश ने खंडन किया। उन्होंने कहा कि सभी विधायकों को पैसे की कमी नहीं है, सभी का अपना इतिहास रहा है और वे सभी अपने मन से राजद में आए हैं। मुसलमान की जुबान गंदी नहीं हो सकती उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी का सम्मान करने की बात कही, लेकिन उनके कार्यकर्ताओं को 'बदतमीज और बेढ़ंगा' बताया। इकबाल ने कहा कि वे लोग मुसलमान नहीं हो सकते, क्योंकि मुसलमान की जुबान कभी गंदी नहीं हो सकती और कभी किसी को 'काफी' या 'फिरौन' नहीं कह सकता।

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