सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के SIR कराने के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर थोड़ी देर में सुनवाई शुरू होगी। यह सुनवाई जस्टिस सूर्याकांत और जस्टिस ज्योमल्या बागची की बेंच में होगी। इलेक्शन कमीशन ने बताया था कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में शामिल 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.5 प्रतिशत ने SIR प्रक्रिया में अपने दस्तावेज दाखिल कर दिए हैं। SC की डबल बेंच निर्वाचन आयोग की टिप्पणी पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) और अन्य याचिकाकर्ताओं के जवाब पर विचार करेगी। इस मामले को लेकर कुछ एनजीओ, कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों की ओर से याचिकाएं दायर की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट 22 अगस्त से इन पर सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन आवेदन को दी थी मंजूरी इससे पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग (ECI) को निर्देश दिया कि हटाए गए वोटर्स को लिस्ट में अपना नाम जुड़वाने के लिए फिजिकली के अलावे ऑनलाइन आवेदन की अनुमति भी दें। कोर्ट ने ये भी कहा था कि आधार कार्ड समेत फॉर्म 6 में दिए गए 11 दस्तावेज में से कोई भी जमा किया जा सकता है, इनमें ड्राइविंग लाइसेंस, पासबुक, पानी का बिल जैसे डॉक्यूमेंट शामिल हैं। कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों को मामले पर चुप्पी साधने के लिए भी फटकार लगाई थी और पूछा कि मतदाताओं की मदद के लिए आप क्या कर रहे हैं। आपको आगे आना चाहिए। इसके साथ ही अगली सुनवाई पर आपके द्वारा क्या किया गया, यह बताएंगे। SIR की प्रक्रिया पर उठाए गए सवाल विपक्षी पार्टियों के साथ साथ कई NGO ने आरोप लगाया है कि मतदाता सूची में नाम काटने और जोड़ने की प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई है। चुनाव आयोग SIR की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से पूरा नहीं किया है। याचिकाकर्ताओं ने मांग किया था कि मतदाता सूची में गड़बड़ी, डुप्लीकेट नाम और फर्जी वोटरों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट इसकी निगरानी करे। कोर्ट के आदेश पर काटे गए मतदाताओं की लिस्ट सार्वजनिक 18 अगस्त को कोर्ट के निर्देश पर चुनाव आयोग ने SIR की ड्राफ्ट लिस्ट से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की लिस्ट और हटाने के कारण सार्वजनिक कर दिए थे। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया को “trust deficit” की स्थिति बताया है। इसपर कोर्ट ने कहा था, यदि कोई अनियमितता साबित होती है तो पूरी SIR प्रक्रिया को निरस्त किया जाएगा। चुनाव आयोग का पक्ष चुनाव आयोग ने साफ किया है कि SIR की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है। हर चरण की मॉनिटरिंग की जा रही है। आयोग का कहना था कि बूथ स्तर से लेकर जिला और राज्य स्तर तक अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी मतदाता का नाम बिना वजह न काटा जाए। बिहार में SIR की स्थिति बिहार में यह प्रक्रिया 30 सितंबर तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को जारी की जाएगी। सभी जिलों के डीएम और इलेक्शन ऑफिसर को नियमित समीक्षा बैठक करने का निर्देश दिया गया है। ---------------------------- ये भी पढ़ें सुप्रीम कोर्ट ने माना, आधार नागरिकता का सबूत नहीं:जिंदा लोगों को मृत बताने पर चुनाव आयोग बोला- गलतियां स्वाभाविक; बिहार SIR पर हुई सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR (सामान्य शब्दों में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन) पर सुनवाई हुई। RJD सांसद मनोज झा की तरफ से पैरवी कर रहे वकील कपिल सिब्बल ने कहा- बिहार की वोटर लिस्ट में 12 जीवित लोगों को मृतक बताया गया है। पूरी खबर पढ़ें