बिहार चुनाव में दिवाली पर ‘उल्लू-नेवले का काला जादू’:25 उंगली वाले की कीमत 25 लाख, तस्कर बोला- ऑर्डर दीजिए 24 घंटे में डिलीवरी

Oct 21, 2025 - 08:30
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बिहार चुनाव में दिवाली पर ‘उल्लू-नेवले का काला जादू’:25 उंगली वाले की कीमत 25 लाख, तस्कर बोला- ऑर्डर दीजिए 24 घंटे में डिलीवरी
'दीपावली पर उल्लू के पावर के हिसाब से पूजा होती है। जितनी उंगली, उतनी पावर होती है। हमारे पास हर पावर के उल्लू मिल जाएंगे। जो आपका कोई भी काम करवा देंगे। 10 उंगली से लेकर 25 उंगली वाले पहाड़ी उल्लू मिल जाएंगे, लेकिन पैसा मोटा लगेगा। एक बात है, 25 पैर वाले का काला जादू कभी खाली नहीं जाता है। आप तो ऑर्डर करो 24 घंटे में मंगाकर दे देंगे। मनचाहा काम करवाना है तो नेवला ले जाइए। कुबेर की सवारी है। सारा काम बन जाएगा।' यह दावा काले जादू के लिए बिहार में उल्लू बेचने वाले तस्करों का है, जो भास्कर के कैमरे में कैद हुए हैं। वह खुलेआम दुर्लभ पहाड़ी उल्लू का सौदा कर रहे हैं। दीपावली पर तंत्र-मंत्र के लिए पूरी रात पटना में उल्लू की खरीद बिक्री होती रही। दुकानदारों ने हमसे दावा किया कि कई नेता यहां से उल्लू ले गए हैं। पढ़िए दीपावली पर भास्कर का ऑपरेशन उल्लू… सबसे पहले जान लीजिए चुनाव के बीच दीपावली में काले जादू का कनेक्शन दीपावली पर तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास का खेल भी खूब चलता है। अमावस्या की रात की गई क्रिया को लेकर तांत्रिकों के भी बड़े-बड़े दावे होते हैं। दैनिक भास्कर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन टीम को सूचना मिली कि कुछ पॉलिटिकल लोगों ने भी अमावस्या पर तंत्र-मंत्र के लिए उल्लू और नेवले का ऑर्डर दिया है। दीपावली की पूरी रात उल्लू और नेवले की खरीद बिक्री का खेल चलता रहा। पटना सिटी से लेकर बिहार के अन्य इलाकों में भी उल्लू के कारोबार का इनपुट मिला। पड़ताल के लिए भास्कर की टीम पटना में तस्करों का कनेक्शन खंगालने में जुट गई। इसी दौरान चला कि पटना सिटी इलाके में पत्थर की मस्जिद के पास तस्करों ने ऑर्डर पर काले जादू के लिए उल्लू और नेवले मंगाएं हैं। भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम को पटना सिटी इलाके के तस्कर नियाज के बारे में पता चला। नियाज चिड़ियों का कारोबार करता है और पटना सिटी में उसकी दुकान है। हम नियाज के पास पहुंचे तो वो हमने खुलेआम प्रतिबंधित और दुर्लभ चिड़ियों की डील करने लगा। रिपोर्टर - हमें उल्लू चाहिए? नियाज - ऑर्डर दीजिए, कल सुबह मिल जाएगा। अभी तो है नहीं, स्टॉक में नहीं रखते हैं। इस नंबर पर भाई से बात कर लीजिए। (एक मोबाइल नंबर देते हुए बोला) रिपोर्टर - आप ही बात करा दीजिए? नियाज - नियाज अपने भाई से फोन लगाते हुए बोला, सब व्यवस्था हो जाएगी। (रिपोर्टर से भी बात करवाई) रिपोर्टर - कब तक व्यवस्था हो जाएगी? नियाज - उल्लू आपको कल सुबह मिल जाएगा। भाई 10 मिनट में आ रहा है। आप जितना पावर का चाहेंगे सब मिल जाएगा। पहाड़ी भी 24 घंटे में आ जाएगा, वह कहीं मिलता नहीं है। नियाज की दुकान पर ही बातचीत में पता चला कि पड़ोस में मजहर भी उल्लू का कारोबार करता है। हम सीधा मजहर की दुकान पर पहुंचे। मजहर ने न सिर्फ उल्लू दिखाया बल्कि यह खुलासा भी किया कि उसने 3 उल्लू नेताओं को बेचे हैं। रिपोर्टर - उल्लू है क्या? मजहर - हां, है, मिल जाएगा। रिपोर्टर - कहां है, दिखाओ। मजहर - अब्बू आ रहे हैं, तो वही दिखाएंगे। रिपोर्टर - उल्लू कितने का है? मजहर - लेना है? रिपोर्टर – हां, लेना है तभी तो आए हैं, नेताजी के यहां पूजा करानी है। मजहर - 3000 लगेगा, कब ले जाना है? रिपोर्टर - शाम को ले जाना है, कितना तक लगेगा? मजहर - 2800 तक लग जाएगा, ले जाइए। रिपोर्टर - कौन सा उल्लू है, इंडियन या बाहरी? मजहर - इंडियन उल्लू है, लेकिन लोकल नहीं है। यह आपको बिहार में कहीं नहीं मिलेगा। रिपोर्टर - इसमें उंगली और नाखून का अंतर पड़ता है क्या? मजहर - किसका? रिपोर्टर - मतलब इसमें ज्यादा उंगली और नाखून वाला होता है क्या? मजहर - इसमें 20 नाखून, 25 नाखून वाला होता है, वह अलग चीज होता है। उसका 20 से 25 लाख रुपए लगता है, वह जल्दी नहीं मिलता है। लेकिन बोलिएगा तो वह भी मंगवा देंगे। रिपोर्टर - इस उल्लू का कितने नाखून और उंगली हैं? मजहर - वही नेचुरल है, 10 नाखून वाला, लेकिन बाहरी है, पहाड़ी वाला। मजहर - यह उल्लू पूजा और काले जादू के लिए जाता है। रिपोर्टर - उल्लू थोड़ा सा बाहर निकाल दीजिए, ताकि पंडित जी को फोटो भेजकर दिखा लें। मजहर - ठीक है, निकाल देता हूं। रिपोर्टर - आज कुछ बिका है कि नहीं? मजहर - तीन तो बेच दिए हैं, नेता लोग ही ले गए हैं। रिपोर्टर - चुनाव चल रहा है, नेता लोग ही ले गए होंगे। मजहर - हां-हां, वही लोग ले जाते हैं, मामला चुनाव का है। रिपोर्टर - कहां से मिलता है यह उल्लू? मजहर - जंगल से पकड़वा कर मंगवाते हैं। रिपोर्टर - फोन कर दूंगा, पैसा भी ऑनलाइन एडवांस भेज दूंगा? मजहर - ठीक है, लेकिन जल्दी नहीं तो कोई और ले जाएगा। मोहम्मद तौफीक पटना सिटी का बड़ा तस्कर है। नियाज की दुकान पर काम करने वाले एक लड़के ने तौफीक के बारे में बताया। हम तौफीक का पता लेकर सीधे उसके अड्‌डे पर पहुंच गए। रिपोर्टर - उल्लू चाहिए, दिखा दीजिए। तौफीक - लाइव नहीं हैं दिखाते, कानूनन जुर्म है। कछुआ और उल्लू दोनों को लेकर हम लोग बहुत अलर्ट रहते हैं। रिपोर्टर - अच्छा, तो फिर कैसे पता चलेगा कौन सी प्रजाति का उल्लू है आपका? तौफीक - कछुआ है, बोलिए लाइव दिखा देता हूं, लेकिन लेना पड़ेगा। रिपोर्टर - दाम बताइएगा ना, वैसे हमें काले जादू के लिए उल्लू ही लेना है। तौफीक - 2500 रुपए में दुर्लभ कछुआ दे दूंगा, इस पर जो तंत्र होगा पूरी तरह से कारगर होगा। वैसे उल्लू कौन वाला चाहिए, छोटा वाला या बड़ा लेना है? रिपोर्टर - दोनों है क्या आपके पास? तौफीक - मिल जाएगा, छोटा 3000 और बड़े का 5000 लगेगा। रिपोर्टर - कोई पावर वाला उल्लू होता है क्या? तौफीक - उल्लू सब पावर वाला होता है। रिपोर्टर - उल्लू यहां बिहार में मिल जाता है क्या? तौफीक - अपने यहां नहीं मिलता है, जंगल में मिलता है, जंगल में जाकर खोज कर लाते हैं। रिपोर्टर - अभी नहीं मिलेगा क्या तुरंत? तौफीक – उल्लू पूजा में काम आता है, नहीं तो किसी मजबूरी में काले जादू के लिए काम आता है। बाबा जिसका जो धर्म है, महागुरु बोल दिया तो ले जाता है लोग। पटना सिटी में हमें एजाज के बारे में पता चला। एजाज भी प्रतिबंधित पक्षियों का बड़ा तस्कर है। पता चला कि वह उत्तराखंड और नेपाल के जंगलों से पक्षियों को लाकर बेचता है। एजाज हमें पत्थर की मस्जिद के पास सड़क पर ही मिल गया। रिपोर्टर - एजाज भाई आप ही हैं, उल्लू मिल जाएगा क्या? एजाज - हां, मिल जाएगा। जब आप बोलिए, नंबर दीजिए, आपके घर तक पहुंचा दूंगा। मेरे पास बड़ा है, छोटा नहीं मिल पाएगा। रिपोर्टर - बड़ा ही चाहिए, काला जादू कराना है। बड़े से हो जाता है, या छोटा लगता है। एजाज - बड़ा कहां मिलता है जल्दी, बड़े में पावर काफी अधिक होता है। रिपोर्टर - पावर से क्या मतलब होता है? एजाज - पावर ही तो सब कुछ होता है, छोटा बच्चा ले जाकर कुछ कराइएगा तो काम ही पूरा नहीं होगा। रिपोर्टर - बड़ा कितने में मिल जाएगा, कहां का है? एजाज - 3 हजार रुपए दे दीजिएगा, यह दुर्लभ है, पहाड़ी क्षेत्र से मंगाया जाता है। रिपोर्टर - काला जादू कराने वाला नेवला चाहिए, पंडित जी ने बताया है? गोलू - मिल जाएगा, 2000 रुपए लगेगा। रिपोर्टर - पूजा में लगता है क्या, इससे क्या करते हैं? गोलू – हां, ये कुबेर की सवारी है। इससे दीपावली पर खतरनाक तंत्र-मंत्र होता है। रिपोर्टर - उल्लू भी रखे हैं क्या? गोलू - मिल जाएगा, ऑर्डर दे दीजिए। रिपोर्टर - कितने दिन लग जाएंगे? गोलू - आज दीजिए, कल मिल जाएगा। दुकान पर बैठा एक व्यक्ति हमें काफी देर से घूमता हुआ देख रहा था। वह समझ गया था कि हम लोगों को कुछ न कुछ ऐसे ही पूजा वाला सामान चाहिए। वो हमारे पास आया और टोका- क्या खोज रहे हैं, कुछ चाहिए क्या। हमने कहा आप कौन हैं, जवाब मिला परदेसी-हम भी उल्लू और नेवला बेचते हैं। आप लोगों को क्या चाहिए, उल्लू? अभी चाहिए? नेवला भी मिल जाएगा। रिपोर्टर - हां, शाम तक मिल जाए तो अच्छा होगा। आज रात में ही पूजा करानी है। परदेसी - कितना बड़ा उल्लू चाहिए? रिपोर्टर - उल्लू हो, छोटा बड़ा कुछ भी हो, आपको तो पता ही होगा कौन सा लगता है तंत्र-मंत्र में? परदेसी - बड़ा वाला ही लोग ले जाते हैं, इसके 2500 रुपए लग जाएंगे। रिपोर्टर - कब मिल जाएगा? परदेसी - आज तो नहीं, लेकिन कल पक्का मिल जाएगा। कम पैसे में उल्लू नहीं मिलेगा, उल्लू के पंख से तंत्र कराइए पटना सिटी में ही एक रिक्शे वाले से बात करने पर हमें सन्नू के बारे में पता चला। रिक्शे वाले ने बताया कि सन्नू से मिलिए वह पक्षियों का सबसे पुराना कारोबारी है। वह सही सामान देता है, पूजा में अक्सर लोग सन्नू के वहां से ही पक्षी ले जाते हैं। हम सन्नू का पता पूछते उसके पास पहुंचे, वह भी पक्षियों के कारोबार का मास्टर निकला। रिपोर्टर - पूजा के लिए कुछ पक्षी चाहिए था? सन्नू - कौन सा पक्षी उल्लू या काला कौआ या फिर नेवला वगैरह चाहिए। रिपोर्टर - मुझे तो पंडित ने उल्लू के लिए बोला है। सन्नू - मिल जाएगा, उल्लू और काला कौआ दोनों अभी हमारे पास है। रिपोर्टर - दिखा दीजिए? सन्नू - ऐसे काम नहीं होता है, पहले पैसा जमा कीजिए फिर सामान कहीं और से देंगे। रिपोर्टर - कितना लगेगा? सन्नू - 3 हजार रुपए लग जाएंगे। रिपोर्टर - 3 हजार तो बहुत ज्यादा है, कुछ कम कीजिए। सन्नू - कम पैसा है तो उल्लू का पंख है, इसी से तंत्र-मंत्र करा लीजिए। रिपोर्टर - पंख से भी होता है क्या? सन्नू - हां, पैसा नहीं होता है तो लोग पंख से ही तंत्र मंत्र काला जादू सब करा लेते हैं। आपको जो चाहिए बताइएगा, मिल जाएगा। अब पढ़िए कानून क्या कहता है भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 के तहत उल्लू को संरक्षित प्राणी घोषित किया गया है। इसका शिकार या व्यापार करने पर 3 साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। वन विभाग ने चेतावनी दी है कि उल्लू की तस्करी में शामिल किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। दुनिया भर में उल्लू को लेकर अलग-अलग मान्यताएं कहीं रात का शैतान को कहीं ये पक्षी रक्षक दुनिया की कई संस्कृतियों में उल्लू को रहस्यमयी और अलौकिक पक्षी माना गया है।अफ्रीका के कई हिस्सों में इसे मौत, बीमारी और दुर्भाग्य का संकेत समझा जाता है।केन्या में मान्यता है कि यदि किसी ने उल्लू की आवाज सुन ली, तो उसकी मृत्यु निकट है।अमेरिका की मूल निवासी जनजातियां भी इसे “दैवी खतरे का वाहक” मानती रही हैं। ढाई हजार साल पहले रोम के विद्वान प्लिनी ने उल्लू को “रात का शैतान” बताया था। उनका मानना था कि इसके अंग दर्द और बीमारियों को दूर करने में सक्षम हैं।मैक्सिको की प्राचीन टियोतिहुआकान सभ्यता में इसे बुराई का प्रतीक,जबकि यूरोप में चुड़ैलों का साथी माना गया। हालांकि, कुछ संस्कृतियों में उल्लू को रक्षक और शुभ संकेत के रूप में देखा जाता है। प्राचीन ग्रीस में यह ज्ञान और युद्ध की देवी एथेना का प्रतीक था। युद्ध के मैदान में उल्लू दिखने का अर्थ माना जाता था कि देवी एथेना स्वयं युद्ध में शामिल हैं। भारत और जापान में उल्लू को संपन्नता, बुद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। अब जानिए उल्लू के बारे में कुछ रोचक जानकारी

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