पूर्णिया में कार्यपालक सहायकों ने निकाला कैंडल मार्च:सरकार पर लगाया सौतेले व्यवहार का आरोप, मांगें न माने जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी
पूर्णिया में 11 सूत्री मांगों को लेकर जिले भर के कार्यपालक सहायकों ने शुक्रवार देर शाम कैंडल मार्च निकाला। हाथों में मोमबत्तियां लिए सैकड़ों कार्यपालक सहायक सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए। सरकार पर सौतेलेपन का आरोप लगाते हुए मांगे न माने जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। कैंडल मार्च फणीश्वर नाथ रेणु टीओपी से शुरू होकर समाहरणालय मुख्य द्वार होते हुए नगर निगम चौक तक पहुंचा। मार्च का नेतृत्व बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ के जिलाध्यक्ष मन्नु कुमार ने किया। कैंडल मार्च में शामिल कार्यपालक सहायक हाथों में कैंडल लिए सड़क पर उतरे। लंबित मांग को लेकर आवाज बुलंद की। कैंडल मार्च की अगुवाई कर रहे जिलाध्यक्ष मन्नु कुमार ने कहा कि पिछले 12-14 सालों से हम सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को जमीन पर उतार रहे हैं। पंचायत स्तर से लेकर जिला मुख्यालय तक हमारी मेहनत से ही योजनाएं सफल हो पाती हैं, लेकिन सरकार हमें लगातार नजरअंदाज कर रही है। महंगाई के इस दौर में अल्प वेतन में परिवार का भरण-पोषण करना असंभव हो गया है। बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य और घर का खर्च उठाना मुश्किल हो गया है। संघ ने अपनी 11 सूत्री मांगें रखीं मार्च में शामिल कोषाध्यक्ष मिथुन कुमार, सचिव मो तारिक, सुमित कुमार प्रिंस, रविन्द्र कुमार, रतन कुमार रंजन और राकेश कुमार ने मार्च के दौरान संघ ने अपनी 11 सूत्री मांगें रखीं। इसमें सभी कार्यपालक सहायकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाना, स्थायी वेतनमान और 7वें वेतन आयोग के अनुसार लेवल-6 का स्केल, नियुक्ति तिथि से ईपीएफ और सभी को चिकित्सा लाभ सुनिश्चित किया जाना, आकस्मिक निधन की स्थिति में आश्रितों को 40 लाख का उपादान और नौकरी, आवेदन के आधार पर गृह जिला में तबादला किया जाना शामिल है। संघ के पदाधिकारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार उनकी मांगों पर जल्द कोई ठोस फैसला नहीं लेती है तो वे 10 सितंबर से दो दिन का सामूहिक अवकाश लेंगे। अगर इसके बाद भी सरकार का रवैया उदासीन रहा तो कार्यपालक सहायक अनिश्चितकालीन हड़ताल या अनशन पर जाने को बाध्य होंगे।
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