नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने को लेकर बैठक, मॉडल सोलर ग्राम चयन के संबंध में हुई विस्तार से चर्चा

Sep 5, 2025 - 04:30
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नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने को लेकर बैठक, मॉडल सोलर ग्राम चयन के संबंध में हुई विस्तार से चर्चा
किसान अपनी लगभग चार एकड़ जमीन देकर एक मेगावॉट का सोलर प्लांट स्थापित कर सकते हैं, स्वयं बिजली उपयोग में ले सकते हैं एवं शेष बिजली ग्रिड को बेच सकते हैं। प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) के घटक-सी फीडर-स्तरीय सौर्यकरण के अंतर्गत इसका लाभ किसानों को मिलेगा। इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार रून्नीसैदपुर में एक किसान के द्वारा जमीन उपलब्ध कराने को तैयार हैं। जल्द ही इस दिशा में कार्य शुरू होगा। इसमें कृषि फीडरों का सोलराइजेशन किया जाता है। यानी ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों और संबंधित फीडर लाइन पर सौर ऊर्जा आधारित उत्पादन व्यवस्था स्थापित किया जाता है। किसान प्लांट से उत्पन्न बिजली को स्वयं खेती, पंप, अन्य कृषि संबंधी कार्यों के लिए उपयोग कर सकते हैं, जिससे गांवों में बिजली की स्थिति में सुधार होता है। यदि बिजली अधिशेष होती है, तो वह बिजली किसान पास के डिस्कॉम (ग्रिड) को बेच सकते हैं। भास्कर न्यूज|सीतामढ़ी कलेक्ट्रेट स्थित विमर्श सभा कक्ष में डीएम रिची पांडेय की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत मॉडल सोलर ग्राम के चयन से संबंधित जिला स्तरीय समीक्षा बैठक हुई। बैठक नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने एवं सौर ऊर्जा के माध्यम से घरेलू विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत मॉडल सोलर ग्राम चयन के संबंध में चर्चा की गई। बताया गया कि योजना के तहत जिला अंतर्गत 5,000 से अधिक की आबादी वाले गांवों को चिन्हित किया गया है। 5000 आबादी उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में जिले के अधिकतम जनसंख्या वाले कुछ ग्रामों को चिन्हित किया जाएगा, चिन्हित किए गए सभी ग्राम उम्मीदवार ग्राम के रूप में अधिसूचित किए जाएंगे। उम्मीदवार ग्राम की सूची अधिसूचित किये जाने के साथ-साथ 6 माह का प्रतिस्पर्धा अवधि रखी जायेगी, जिसमें यह देखा जायेगा कि चिन्हित ग्रामों में से किन ग्रामों में सौर ऊर्जा आधारित परियोजनाओं का अधिक से अधिक क्रियान्वयन किया गया है। जिसके आधार पर आधार पर जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) द्वारा गांवों का मूल्यांकन किया जायेगा।

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