किशनगंज रेलवे स्टेशन पर एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। 15657 ब्रह्मपुत्र मेल के S4 कोच में एक महिला ने अपने एक बच्चे को सीट पर सोता छोड़ दिया। वह दूसरे बच्चे को गोद में लेकर गायब हो गई। कोच में मौजूद एक महिला यात्री ने इस घटना को देखा। उसने पाया कि मां जानबूझकर अपने बच्चे को छोड़कर जा रही है। महिला यात्री ने तुरंत बच्चे की मां को खोजना शुरू किया। लेकिन वह कहीं नहीं मिली। RPF को वॉकी-टॉकी से दी जानकारी किशनगंज के उत्तम लाल उपाध्याय और उनके परिवार ने मदद के लिए आगे आए। उसकी पत्नी, बेटे और बहू ने कोच के अंदर और आसपास बच्चे की मां को खोजा। स्थानीय नागरिक बिरेन दुबे ने ट्रेन गार्ड को सूचना दी। गार्ड ने रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) को वॉकी-टॉकी से जानकारी दी। RPF ने कोई कार्रवाई नहीं की हालांकि, RPF ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। सारी जिम्मेदारी महिला यात्री पर छोड़ दी गई, जो पहले से ही इस घटना से व्यथित थी। कूचबिहार जा रही महिला द्वारा बच्चे को छोड़ने की यह घटना मानवता को झकझोर देने वाली है। मिली जानकारी के अनुसार बच्ची के कारण किशनगंज रेलवे स्टेशन में ट्रेन करीब दस मिनट तक स्टेशन पर रुकी रही। इस दौरान एक बांग्ला भाषी महिला बच्ची की मां को खोजने में जुटी रही। गहरी नींद में सोती रही बच्ची गार्ड ने बार-बार वॉकी-टॉकी पर सूचना दी। लेकिन गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (GRP) का कोई जवान मौके पर नहीं पहुंचा। बच्ची ट्रेन की सीट पर गहरी नींद में सोती रही। स्टेशन पर बांग्ला भाषी महिला की मदद का प्रयास लोगों ने किया। घटना कई सवाल उठा रही उत्तम लाल उपाध्याय और उनके परिवार तथा बिरेन दुबे ने इस घटना में मदद की कोशिश की। यह घटना कई सवाल खड़े करती है। मां को ऐसा कदम उठाने के लिए क्या मजबूर किया? क्या आर्थिक तंगी या सामाजिक दबाव की वजह से उसने बच्ची को छोड़ा? GRP की अनुपस्थिति रेलवे सुरक्षा व्यवस्था में मौजूद खामियों को उजागर करती है। बच्ची के भविष्य को लेकर भी कई सवाल हैं। क्या वह अपने परिवार से फिर मिल पाएगी? क्या कोई उसे अपनाएगा?