एक बच्ची को गोद लेने के लिए 200 कॉल:जिम ऑनर से सभी कह रहे, सर मुझे दे दीजिए; 2 दिन पहले जिम के गेट पर झोले में लटकी मिली थी मासूम
'मुझे जिम के गेट पर लटके झोले में एक अनाथ बच्ची मिली थी। जब मैं उसे अपने घर ले गया तो सब काफी खुश हुए। मेरी बेटी जब हुई थी उस वक्त जैसा माहौल था उसी तरह का माहौल था। जब मैंने बच्ची को झोले से निकाला था तब सोच लिया था कि इसे हम ही रखेंगे, पर अब मुझे प्रक्रिया से गुजरना होगा। करीब 12 घंटे में मेरे पास 200 कॉल आए, सभी इसी बच्ची के बारे में पूछ रहे थे, कह रहे थे कि सर वो बच्ची मुझे दे दीजिए, मैं उसे पालूंगा, पर ऐसा नहीं हो सकता है। इसके लिए प्रक्रिया है। मुझे भी उस प्रक्रिया से गुजरना होगा, पुलिस के कहने पर फिलहाल मैंने उसी दिन बच्ची को ललित भवन के पीछे अपना घर शेल्टर में जमा कर दिया था। आज मैं उसे गोद लेने कि लिए अप्लाई करूंगा।' ये बातें जिम के ऑनर सौरव सुमन कह रहे हैं। जो अन्य लोगों से भी अपील कर रहे हैं कि जिन्हें भी बच्ची चाहिए, वे ऑनलाइन अप्लाई करें। मामला राजीवनगर रोड नंबर-18 का है। ऐसा लगा कि मेरी खुद की बेटी है सौरव कहते हैं जिस वक्त मैं झोले से बच्ची को निकाल रहा था, उस वक्त हाथ कांप रहे थे। इमोशन से मैं भर गया था। अपने बेटे को जब पहली बार गोद में उठाया था, ठीक वैसी ही खुशी मिल रही थी। मैंने जिम से ही मैंने अपनी बीबी, भाभी, मां-पापा को बच्ची के बारे में बता दिया था। बच्ची को देखकर पूरा परिवार उत्साहित हो गया। मेरे बच्चे भी काफी खुश थे। लगा घर में ऐंजल आई है, लेकिन रविवार को जब मैं ललित भवन के पास बच्ची को एडॉप्ट करने के लिए कागजी प्रक्रिया पूरी करने गया तो मुझे बैठा लिया गया। मेरी बीवी भी बच्ची को गोद में लिए मेरे साथ थी। थाने में कहा गया था सिर्फ साइन करना होगा, पर ऐसा नहीं है सौरव बताते हैं कि थाने में पुलिस ने बताया गया था कि सिंपल आपको एक साइन करना होगा और बच्ची आपको मिल जाएगी, लेकिन वैसा हुआ नहीं। मैं जब अपना घर शेल्टर गया तो वहां बैठने के लिए बोला गया। वहां के कर्मियों ने कहा कि आप अकेले कैसे आ गए। पुलिस साथ में क्यों नहीं आई। आपको तब तक बैठना होगा, जब तक थाना से पुलिस नहीं आ जाती। मुझे ये बर्ताव अच्छा नहीं लगा। मैं चुपके से वहां से अपनी बीवी को लेकर निकल आया। चेहरे पर इमोशन था। आंख भरी हुई थी। घर पर आकर बताया तो सब मायूस हो गए। फिर राजीव नगर थाने से मुझे कॉल आया। मुझे साथ चलने के लिए उनलोगों ने कहा। मैं वहां गया और बच्ची को अपना घर में देकर चला आया। फिलहाल मुझे भी उसे पाने की इच्छा है। महादेव चाहें तो मुझे जरूर मिलेगी। जिन्होंने भी बच्ची के बारे में सुना है, मुझसे संपर्क किया है। महादेव जिसे चाहेंगे, उसे ऐंजल मिलेगी। वेरिफिकेशन किया जाता है सौरव ने कहा कि बिना प्रक्रिया के बच्ची किसी को नहीं मिल सकती है। मुझे भी जानकारी का अभाव था। वहां शेल्टर में अधिकारियों ने कहा कि कहा कि ऐसा नहीं होता है कि मैं लिखकर दे दूं कि बच्ची रख लो। इसका सरकार की ओर से विधिवत प्रक्रिया है। जिसमें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) वेबसाइट पर करना होता है। उसके बाद वेरिफिकेशन होता है। योग्यता की जांच होती है। एक पोर्टल है उसपर बच्ची भी लिस्टेड की जाएगी। मुझे भी 10 लोगों ने बच्ची को गोद लेने के लिए फोन किया राजीव नगर थानेदार सोनू कुमार ने बताया कि CWC को खबर कर दी गई थी। फिलहाल बच्ची को ललित भवन के पास अपना घर को सुपुर्द किया गया है। बच्ची उन्हीं के हवाले है। मेरे पास भी 10 लोगों ने गोद लेने के लिए संपर्क किया है। फिलहाल गली में सीसीटीवी नहीं होने के कारण पता नहीं चल पाया है कि किसने बच्ची को झोले में रखा था। रातभर झोले में लटकी रही थी बच्ची दरअसल, 8 नवंबर की सुबह जिम के गेट पर सफेद झोले में नवजात बच्ची मिली है। मासूम को उसके मां-पिता छोड़कर चले गए। जिस जिम के गेट पर बच्ची टंगी थी, वो रात 10 बजे बंद हो गया था। रातभर बच्ची को मच्छरों ने काट-काटकर उसके गाल सुजा दिए थे। बताया गया था कि जिम के बंद होने के बाद कोई उसे वहां छोड़ गया। सुबह 6 बजे जब जिम खुला तो जिम के ऑनर सौरव सुमन ने नवजात को झोले से निकाला और थाने को सूचना दी थी।
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