आनंद मिश्रा को टिकट मिलने पर बक्सर भाजपा में बगावत:कार्यकर्ताओं ने विनोद तावड़े-दिलीप जायसवाल के खिलाफ लगाए मुर्दाबाद के नारे
बक्सर विधानसभा सीट से पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा को भाजपा का प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद जिले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। टिकट की घोषणा होते ही भाजपा के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने खुलकर विरोध प्रदर्शन किया। नाराज कार्यकर्ताओं ने पार्टी के प्रदेश नेतृत्व और चुनाव प्रभारी के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान "विनोद तावड़े मुर्दाबाद" और "दिलीप जायसवाल मुर्दाबाद" के नारे लगाए गए, जिससे बक्सर शहर में तनाव का माहौल बन गया। बाहरी व्यक्ति को टिकट देने पर नाराजगी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि भाजपा ने बक्सर के समर्पित और पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर एक बाहरी व्यक्ति को टिकट दिया है। उनका कहना है कि जिस व्यक्ति ने कुछ महीने पहले लोकसभा चुनाव में भाजपा के आधिकारिक प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, उसे अब विधानसभा का टिकट देना पार्टी की विचारधारा और संगठनात्मक सिद्धांतों के विपरीत है। भाजपा नेत्री वर्षा पांडेय ने इस फैसले को कार्यकर्ताओं के आत्मसम्मान पर सीधा हमला बताया। उन्होंने कहा, "जिस व्यक्ति ने हालिया लोकसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के प्रयासों को कमजोर किया, उसे अब प्रत्याशी बनाना लाखों निष्ठावान कार्यकर्ताओं के मनोबल पर आघात है। यह निर्णय न केवल संगठन के मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि बक्सर की जनता के विश्वास के साथ भी खिलवाड़ है।" दिन-रात काम करने के बाद भी पार्टी ने किया अनदेखा वर्षा पांडेय के साथ अन्य कार्यकर्ताओं ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पार्टी के लिए वर्षों से मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है। "हमने संगठन के लिए दिन-रात काम किया, लेकिन आज हमें अनदेखा कर दिया गया," कार्यकर्ताओं ने कहा। अमरेंद्र पांडेय ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, "अगर आनंद मिश्रा को टिकट देना ही था, तो पहले बता देते। हम क्षेत्र में पार्टी के संदेश और प्रधानमंत्री की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाते रहे। लेकिन आज प्रदेश नेतृत्व ने हमारे जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर दी।" कार्यकर्ताओं के अपमान के समान है यह फैसला विधानसभा टिकट की दौड़ में शामिल हिमांशु चतुर्वेदी ने कहा, "यह फैसला भाजपा के सिद्धांतों और कार्यकर्ताओं दोनों के अपमान के समान है। 2024 के लोकसभा चुनाव में जिसने भाजपा और नरेंद्र मोदी के रथ को रोकने की कोशिश की थी, आज उसे ही प्रत्याशी बनाया गया है।" यह उन पांच लाख मतदाताओं का भी अपमान है जिन्होंने मोदी जी पर विश्वास जताया था। ”उन्होंने आगे कहा, “कल तक जिन्हें पार्टी ‘अर्बन नक्सली’ कहकर बाहर रखती थी, आज वही पार्टी के उम्मीदवार बन गए हैं। हम कल तक उनके खिलाफ तालियां बजा रहे थे, अब क्या उन्हें मंच पर दूल्हा बनाकर ताली बजाएं?” पार्टी की जमीनी ताकत को करेगा कमजोर विरोध करने वालों में धनंजय राय, अमित पांडेय, डॉ. राजेश मिश्रा, सोनू राय समेत कई वरिष्ठ कार्यकर्ता शामिल थे। सभी ने एक स्वर में कहा कि यह निर्णय पार्टी की जमीनी ताकत को कमजोर करेगा और स्थानीय कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराएगा। बक्सर भाजपा में मची इस बगावत ने यह साफ कर दिया है कि आनंद मिश्रा की उम्मीदवारी को लेकर संगठन के भीतर गहरी नाराज़गी है। जहां एक ओर पार्टी नेतृत्व इसे रणनीतिक निर्णय बता रहा है, वहीं स्थानीय स्तर पर विरोध का यह स्वर भाजपा के लिए आने वाले दिनों में बड़ी चुनौती बन सकता है।
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