Jeevika: पहले थी अंगूठा छाप, अब यूपीआइ से कर रहीं लेन-देन, ऐसे बदली साढ़े छह लाख जीविका दीदियों की जिंदगी

Dec 16, 2025 - 12:30
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Jeevika: पहले थी अंगूठा छाप, अब यूपीआइ से कर रहीं लेन-देन, ऐसे बदली साढ़े छह लाख जीविका दीदियों की जिंदगी

Jeevika: मुजफ्फरपुर. विनय. कल तक घर में चूल्हा-चौका संभालने वाली निरक्षर महिलाएं आज न केवल साक्षर हुई हैं, बल्कि अपने स्मार्ट मोबाइल से यूपीआइ के तहत लेन-देन भी कर रही है. इससे उन्हें अपने कारोबार में रुपये का लेन-देन रखने में आसानी हो रही है और कैश पर निर्भर नहीं होना पड़ रहा है. ये महिलाएं अब विभिन सरकार पोर्टल भी ऑनलाइन देख रही हैं और उस पर विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी ले रही हैं. इन महिलाओं में यह जागृति जीविका की ओर से दिये जा रहे प्रशिक्षण से आ रहा है. ये महिलाएं जीविका से जुड़ी हैं और बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट दीदी इन्हें ऑनलाइन लेन-देन के अलावा इंटरनेट सर्फिंग भी सीखा रही हैं. पहले यह महिलाएं अंगूठे के निशान से बैंकों से पैसे निकालती थी, लेकिन अब वह डिजिटल युग का हिस्सा बन चुकी हैं. जीविका सभी दीदियों को मोबाइल बैँकिंग से फ्रेंडली बनाने में जुटा हुआ है. इसका लाभ भी दीदियों को मिल रहा है.

52 हजार समूहों में दिया जा रहा प्रशिक्षण

जिले में साढ़े छह लाख जीविका दीदियां हैं, जिनमें 30 फीसदी दीदियां निरक्षर थीं. इन्हें साक्षर बनाने के लिये जीविका 52 हजार समूहों में ऐसी दीदियों को प्रशिक्षित कर रहा है. समूह की बैठक के बाद बैँकिंग कॉरेस्पोंडेंट दीदी उन्हें मोबाइल से लेन-देन का तरीका सिखाती हैं सरकारी पोर्टल की जानकारी भी देती हैं. इन महिलाओं में कई ऐसी महिलाएं हैं, जो छोटे उद्योग-घंधों से जुड़ी हुई हैं. मोबाइल से बैंकिंग लेन-देन की जानकारी होने से उन्हें अपने व्यवसाय में आसानी हो रही है. मुशहरी की चंदा देवी ने बताया कि पहले उन्हें नाम लिखना भी नहीं आता था. जीविका के समूह में नाम लिखना और हिंदी पढ़ना लिखना सीखा. अब वह मोबाइल से लेन-देन करना भी जान चुकी है.

इंटरनेट के उपयोग के बारे में भी ले रही जानकारी

इस संबंध में डीपीएम अनीशा कहती हैं कि जीविका की ओर से दीदियों को मोबाइल बैंकिंग के उपयोग के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. प्रत्येक समूह में महिलाओं को इसकी जानकारी दी जा रही है. इससे दीदियों का स्किल बढ़ा है और वह मोबाइल फ्रेंडली हो गयी है. इससे उन्हें कारोबार में आसानी हो रही है. दीदियों को इंटरनेट के उपयोग के बारे में भी बताया जा रहा है. जिले में जीविका से जुड़ी कई दीदियां अब यूपीआइ से लेन देन कर रही हैं. मोबाइल बैंकिंग का उपयोग कर दीदियां खुश हैं और वह अपने उद्योग-घंघे का अधिकतर काम मोबाइल बैँकिंग से ही कर रही हैं. यहां कुछ दीदियों की बातें रखी जा रही है.

क्या कहती है जीविका दीदी

मोबाइल से लेन-देन का तरीका सीख लेने से अब सामान खरीदने में दिक्कत नही है. मोबाइल से ही पैसा पेमेंट कर देती हूं. व्यवसाय में भी परेशानी नहीं होती है

  • चांदनी देवी, मुशहरी

पहले मैं मोबाइल बैंकिंग के बारे में नहीं जानती थी. कोई ग्राहक सामान लेेता था, तो यूपीआइ के जरिये पेमेंट नहीं ले पाती थी, लेकिन अब परेशानी नहीं है

  • चंचला देवी, औराई

मोबाइल बैंकिंग के उपयोग से काफी आसानी हो गयी है. हमलोगों को सिखाया गया है कि मोबाइल से पैसे लेना और देना कैसे है. इससे लेन-देन आसान हुआ़

  • रिंकू कुमारी, औराई

पहले मेरे पास न स्मार्ट मोबाइल था और न ही ऑनलाइन बैंकिंग की जानकारी थी. समूह की दीदियों ने हमलोगों को सिखाया, अब बहुत काम आसान हो गया.

  • प्रतिमा देवी, मीनापुर

मोबाइल बैंकिंग के उपयोग से व्यवसाय काफी आसान हो गया है. पहले हर काम के लिये एटीएम से कैश लेना होता था, लेकिन अब ऑनलाइन पेमेंट कर लेती हूं

  • संजू भारती, सकरा

छोटी सी सब्जी की दुकान है. पहले जिन ग्राहकों के पास कैश नहीं होता था, उन्हें सब्जी नहीं दे पाती थी. अब मोबाइल बैँकिंग से उनसे पैसे ले लेती हूं

  • रेणु देवी, सकरा

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Vikash Kumar Editor-in-chief