300m दूर घर जाना था,5km दूर मिली ज्वेलर की लाश:भाई ने कहा-हादसा था तो मौके पर खून क्यों नहीं; सड़क पर टुकड़ों में बॉडी पड़ी थी

Oct 3, 2025 - 08:30
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300m दूर घर जाना था,5km दूर मिली ज्वेलर की लाश:भाई ने कहा-हादसा था तो मौके पर खून क्यों नहीं; सड़क पर टुकड़ों में बॉडी पड़ी थी
'मेरे भाई की जहां लाश मिली है, वहां कोई खून का धब्बा नहीं है। मेरे भाई का एक्सीडेंट नहीं हुआ है, उसकी कहीं दूसरे जगह हत्या कर एक्सीडेंट का रूप देने के लिए शव को सड़क पर रख गया है और उसपर कोई भारी वाहन चढ़ा दिया गया है।' ये कहते हुए दरभंगा के गोल्ड कारोबारी मनीष गुप्ता की बहन सुष्मिता गुप्ता रोने लगी। दरअसल, बुधवार की शाम 4 बजे दरभंगा के गोल्ड कारोबारी 50 साल के मनीष गुप्ता की सड़क के किनारे लाश मिली थी। लाश छह टुकड़ों में बंटी थी। बाएं पैर दो टुकड़ों में, जबकि दायां पैर, दोनों हाथ और सिर के साथ धड़ अलग मिला था। गोल्ड कारोबारी के घर वालों का आरोप है कि उनकी हत्या कर लाश को टुकड़ों में बांटा गया है और एक्सीडेंट का रूप देने के लिए लाश सड़क पर रखा गया है। ताकि, पुलिस को और लोगों को लगे कि सड़क हादसे के बाद गाड़ियों ने सड़क को कुचल दिया, जिससे लाश के कई टुकड़े हो गए। मनीष गुप्ता की मौत पर घर वालों का क्या कहना है? क्या उनकी किसी से दुश्मनी थी, जिसकी वजह से उनकी जान गई या ये वाकई एक सड़क हादसा है? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर रिपोर्टर मृतक गोल्ड कारोबारी मनीष गुप्ता के घर पहुंचे। पढ़िए, ग्राउंड रिपोर्ट। हम गोल्ड कारोबारी मनीष गुप्ता के घर जैसे ही पहुंचे दरवाजे पर उनकी पत्नी शीतल गुप्ता बेसुध में मिली। वो बार-बार बेहोश हो रही थी। घर के अन्य लोग शीतल को संभाल रहे थे। हमने शीतल से बात करने की कोशिश की लेकिन शीतल कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थी। बार-बार मनीष-मनीष बोलकर बेहोश हो रही थी। हमारे काफी कोशिश के बाद शीतल बात करने को तैयार हुई। शीतल ने बताया कि मेरे पति की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी और ना ही किसी तरह का किसी से कोई विवाद था। हां, कुछ दिनों से परेशान जरूर थे। लेकिन परेशान क्यों थे, ये कभी नहीं बताया। मैंने उनसे काफी पूछा भी था, लेकिन कभी बताया नहीं। 'मुझसे कहा- घर आ रहा हूं, प्रसाद तैयार रखना' शीतल ने बताया कि मेरे पति की ज्वेलरी शॉप घर से मात्र 300 मीटर दूर है। उन्होंने नवरात्र में व्रत रखा था। नवमी को सुबह पूजा करने के बाद शॉप पर चले गए थे। दोपहर करीब ढ़ाई बजे दुकान से घर के लिए निकले। मुझे कॉल किया कि प्रसाद तैयार रखना, घर आ रहा हूं। ज्वेलरी शॉप के पास ही एक पान की दुकान है, दुकानदार ने मनीष से पूछा कि भइया कहां जा रहे हैं, तो उन्होंने कहा था कि प्रसाद खाकर घर से तुरंत आता हूं। फिर वे ई-रिक्शा से घर आ रहे थे, लेकिन वे नेशनल हाईवे पर कैसे पहुंच गए, मुझे समझ नहीं आ रहा है। उनके पैर में दिक्कत थी, तो अच्छे से चल नहीं पाते थे, आखिर वो गए कैसे होंगे। जरूर किसी ने उन्हें साजिश के तहत बुलाया होगा और हत्या की वारदात को अंजाम देकर लाश को टुकड़ों में बांटा और सड़क पर फेंककर फरार हो गया। ये कहते हुए शीतल रोने लगी, फिर कुछ देर तक मनीष का नाम लेते हुए बेहोश हो गई। मनीष की बहन बोली- लाश पर खून का धब्बा तक नहीं था मनीष की बड़ी बहन सुष्मिता ने भी अपने भाई की हत्या का दावा किया। उन्होंने भी अपनी भाभी की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि भइया ठीक से चल नहीं पाते थे, आखिर वे दुकान से 5 किलोमीटर दूर कैसे चले गए। शव पर खून का धब्बा भी नहीं था। अगर हादसा होता तो सड़क पर खून का धब्बा होता, शरीर पर भी होता। जरूर किसी गहरी साजिश के तहत हत्या की गई है। मनीष के चचेरे भाई अमरनाथ गुप्ता ने बताया कि मनीष अपने दुकान से दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर घर के लिए निकले थे। वे दुकान के पास ही एक लाल रंग के ई-रिक्शा पर बैठकर घर के लिए निकले। दुकान से घर तक पहुंचने में महज 5 मिनट का समय लगता है। 1 घंटा बीत जाने के बाद भी जब वह घर नहीं पहुंचे तो हमने उन्हें खोजना शुरू किया। उनका कॉल भी नहीं लग रहा था। भइया को ढूंढते हुए दुकान तक पहुंचे, तो जानकारी मिली कि वे ई-रिक्शा से निकले हैं। फिर आसपास के इलाके में हम लोग उनकी तलाश करने लगे। तभी करीब 5 बजे जानकारी मिली कि मुजफ्फरपुर-दरभंगा हाईवे पर एक लाश पड़ी है। हम लोग वहां पहुंचे तो कपड़ों और चेहरे से उनकी पहचान की। अमरनाथ ने बताया कि देखकर ही ऐसा लग रहा था कि लाश को सड़क पर रखा गया है। एक्सीडेंट होता तो सड़क पर घसीटने के निशान होते। अगर पुलिस आसपास लगे CCTV कैमरों को खंगाले और अच्छे से जांच-पड़ताल करे, तो जरूर कुछ सामने निकलकर आएगा। ज्वेलरी शॉप के स्टाफ से 1300 रुपए लेकर निकले थे मनीष इस पूरे मामले पर जब सदर थाना के एसएचओ मनोज कुमार से मुलाकात की, तो उन्होंने बताया कि शुरुआती जांच में हमें पता चला है कि मनीष अपने दुकान के एक स्टाफ से 1300 रुपए लेकर निकले थे। दुकान के स्टाफ से हम लोगों ने और पूछताछ कि लेकिन उसे भी उन्होंने कुछ नहीं बताया था। काफी खोजबीन के बाद ये पता चला कि नवमी के दिन कन्यापूजन था। लिहाजा, वे खाना बनाने वाले एक हलवाई के पास गए थे, लेकिन उनके वापस आने की कोई जानकारी नहीं मिल रही है। फिलहाल शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया है। रिपोर्ट आते ही साफ हो जाएगा कि मौत कैसे हुई है। फिलहाल मनीष के परिजन की ओर से लगाए गए हत्या के आरोपों की जांच चल रही है। मनोज कुमार ने बताया कि घटनास्थल पर छाती और कमर का भाग गंभीर रूप से कुचला हुआ था। कुछ मांस के लोथड़े जगह जगह पाए गए, लिहाजा प्रथम दृष्टया मामला हिट-एंड-रन का ही लग रहा है। उन्होंने बताया कि मनीष अक्सर हाथों की आठ उंगलियों में सोने की अंगूठी और गले में चेन पहनते थे, लेकिन दुकान से निकलने से पहले उन्होंने अंगूठी और सोने की चेन निकालकर लॉकर में रखवा दिया था। मनीष के दो बेटे चिराग (22) और अंश (17) हैं, जबकि एक बेटी सिमरन (20) है, जिसकी शादी डेढ़ साल पहले हुई थी। मनीष का सोना-चांदी का खुद का दुकान था। पहले उनका मकान होटल के रूप में इस्तेमाल होता था, लेकिन अब वह बैंक ऑफ बड़ौदा को लीज पर दिया गया है। हत्या समेत सभी बिंदुओं पर जांच जारी हैः SDM SDM विकास कुमार ने बताया, 'शव की पहचान हो गई है और परिजनों से आवेदन लेकर हत्या समेत सभी बिंदुओं पर जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि मृतक जिस ई-रिक्शा से घर लौट रहे थे, उसके ड्राइवर की पहचान कर पूछताछ की जाएगी। DMCH में पोस्टमॉर्टम के बाद मनीष के शव को परिजन को सौंप दिया गया।' सदर SDPO राजीव कुमार ने कहा, 'परिजन हत्या की आशंका जता रहे हैं। पुलिस सभी पहलुओं पर गंभीरता से जांच कर रही है और जल्द ही मामले का खुलासा किया जाएगा।'

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