'म्यांमार में बंधक बनाकर मुझे इलेक्ट्रिक शॉक देते थे':पटना का इंजीनियर 2 माह बना रहा बंधक, कहा- ऑर्गेन बेचने की धमकी देकर लिए लाखों रुपए
पटना के दानापुर के युवक को नौकरी का लालच देकर म्यांमार में बंधक बना लिया गया था। अब करीब 2 महीने बाद पुलिस की मदद से वह अपने वतन वापस लौट गया है। 26 जून 2025 को नौकरी दिलाने का झांसा देकर म्यांमार बुलाया गया और वहां सचिन को बंधक बना लिया गया था। मां मीना देवी ने दानापुर थाने में धर्मेंद्र चौधरी, जितेंद्र चौधरी (नेपाल) और सहाय ग्रुप कंपनी के एचआर सुनील कुमार के खिलाफ दर्ज कराई थी। सुनील सीतामढ़ी का रहने वाला है, जिसे फिलहाल गिरफ्तार कर लिया गया है। सुनील ने बंधक बनाया था और सचिन के भाई से डेढ़ लाख रुपए ले लिए थे और बंधक से मुक्त करने के लिए 5000 डॉलर की डिमांड कर रहे थे, नहीं देने पर ऑर्गन बेचने की धमकी भी दे रहे थे। पीड़ित सचिन ने बताया कि उसे वहां इलेक्ट्रिक शॉक दिया जा रहा था। मारपीट होती थी। जबरन स्कैम के धंधे में फंसाने का दबाव दे रहे थे। 12 लाख रुपए के पैकेज पर लेकर गए सचिन कुमार सिंह ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि नेपाल के एजेंट धर्मेंद्र चौधरी के थ्रू बर्मा गए थे। धर्मेंद्र ने 12 लाख सालाना के पैकेज पर काम दिलाने का दिलासा दिया। फिर अपने साथ लेकर चला गया। सचिन ने धर्मेंद्र से कहा कि उसके पास टूरिस्ट वीजा है। इसके बावजूद भी धर्मेंद्र चौधरी ने आश्वासन दिया कि म्यांमार के मियाबड़ी में वर्क वीजा उपलब्ध करा दूंगा, जिससे तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी। झांसे में आकर सचिन कुमार सिंह जाने के लिए तैयार हो गए, तब सचिन को पटना से प्लेन से कोलकाता ले जाया गया। फिर कोलकाता से बैंकॉक ले जाया गया। बैंकॉक से करीब 12 घंटे का रास्ता तय कर कार में बैठाकर म्यांमार (बर्मा) ले जाया गया। वहां सहाय ग्रुप कंपनी में करीब 3 माह काम करने के बाद सचिन कुमार सिंह को म्यांमार में ही साइबर स्कैम सेंटर में बंधक बना लिया गया और वीजा, मोबाइल जब्त कर लिए गए। स्कैम के लिए किया गया फोर्स सचिन ने आगे बताया कि मुझे जबरन स्कैम कराने के लिए फोर्स किया जाने लगा। इनकार करने पर इलेक्ट्रिक करंट (शॉर्ट) देकर और अन्य तरह से प्रताड़ित, मारपीट किया जाने लगा। मारपीट की फोटो इनके भाई साहिल को भेजकर पैसे की मांग की जाने लगी। उन लोगों ने तरह-तरह की धमकी दी। मेरे शरीर का अंग बेचने के मैसेज किया जाने लगा। भाई से डेढ़ लाख से ज्यादा रुपए निकलवा लिए। फिलहाल पटना पुलिस के सहयोग से भारतीय दुतावास (म्यांमार (वर्मा), थाईलैंड) ने दिल्ली (भारत) भेजा, जिसके बाद आज पटना पुलिस ने सचिन कुमार को बरामद कर लिया है। कुछ महीने पहले जब सचिन को खोजा जा रहा था तो उसके भाई साहिल सिंह ने बताया था, 'मुझे लगा कि मैं एजेंट को रुपए भेज देता हूं। तो वह मेरे भाई को छोड़ देगा। यही सोच कर मैंने एजेंट धर्मेंद्र को संपर्क किया। धर्मेंद्र ने कहा कि मुझे तीन लाख रुपए दो, मैं तुम्हारे भाई को यहां से मुक्त कर घर भिजवा दूंगा। उसने सीतामढ़ी के सुनील का अकाउंट नंबर और मोबाइल नंबर दिया। धर्मेंद्र के कहे अनुसार मैंने सीतामढ़ी के रहने वाले सुनील कुमार के अकाउंट में गूगल पे से 18 अप्रैल को अपने अकाउंट से एक लाख और 19 अप्रैल को मां के अकाउंट 50 हजार रुपए भेज दिए। रुपए भेजने के बाद 19 अप्रैल को जब कॉल किया तो किसी ने कॉल का रिस्पॉन्स नहीं किया'। 15 जनवरी को पटना से गया था विदेश दरअसल, 15 जनवरी को सचिन कोलकाता के रास्ते बैंकॉक पहुंचा। वहां एक रात रुकने के बाद धर्मेंद्र और चीनी एजेंट माइकल ने उसे साईं ग्रुप ऑफ कंपनी में म्यांमार में नौकरी का प्रस्ताव दिया। तीन महीने तक सचिन ने वहां काम किया था। 1 अप्रैल से 11 अप्रैल तक सचिन का परिवार से कोई संपर्क नहीं हो पाया था। बाद में उसका फोन आया और उसने बताया था कि उसे डार्क रूम में रखा गया है। कंपनी में उसके साथ मारपीट और प्रताड़ना की जा रही है। चीनी कंपनी ने टेलीग्राम के जरिए सचिन को छोड़ने के लिए तीन हजार डॉलर की मांग की है।
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