बेगूसराय में हीराबेन की नाम के सामुदायिक भवन का उद्घाटन:एक साथ 200 लोगों के ठहरने की व्यवस्था, कामा माता का मंदिर भी भक्तों के लिए खुला

Oct 8, 2025 - 00:30
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बेगूसराय में हीराबेन की नाम के सामुदायिक भवन का उद्घाटन:एक साथ 200 लोगों के ठहरने की व्यवस्था, कामा माता का मंदिर भी भक्तों के लिए खुला
बेगूसराय के सूजा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बेन के नाम पर बने सामुदायिक भवन का उद्घाटन मंगलवार को आरएसएस के प्रांत प्रचारक रविशंकर जी ने अतिथियों के साथ किया। इसके साथ ही पूर्व राज्यसभा सांसद प्रो. राकेश सिन्हा द्वारा गोद लिए महादलित मोहल्ले में माता शबरी की प्रतीक रूप में पूजी जाने वाली कामा माता के मंदिर का भी लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रांत प्रचारक रवि शंकर जी ने कहा कि यह मंदिर स्थानीय समाज के जीवट होने का प्रमाण है। यह वेदना एवं संवेदना को समेट कर उसके समाधान के प्रयास का मूर्त रूप है। प्रो. राकेश सिन्हा ने इस कार्य के माध्यम से स्थानीय समाज को मुख्य धारा में जोड़ा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम की सिद्धि की लकीर खींची है। प्रांत प्रचारक बोले- समाज को शिक्षित, स्वावलंबी, सशक्त बनाने की जरूरत अब जरूरत है कि इस समाज को स्वस्थ, शिक्षित, स्वावलंबी एवं सशक्त बनाया जाए। इसके लिए सामूहिक प्रयास अति आवश्यक है। इसमें हम हर कदम पर सहयोगी के रूप में उपस्थित रहेंगे। यह भवन और मंदिर इस गांव में रहने वाले हर लोगों के शक्ति का केंद्र बने, इस दिशा में हम सबको प्रयास करने की जरूरत है। केवल भवन बनाकर छोड़ना हमारा काम नहीं है, यह कामा माता का मंदिर समाज के सुरक्षा का एक केंद्र के रूप में स्थापित होना चाहिए। इस शक्ति के केंद्र के माध्यम से बेहतर प्रयास करने की जरूरत है। गांव के उत्थान में, गांव के स्वाबलंबन में, अस्मिता की सुरक्षा के लिए यह सामुदायिक भवन जब तक उपयोगी नहीं होगा, तब तक सार्थकता सिद्ध नहीं होगी। समाज के सभी लोग शिक्षित, स्वस्थ्य, स्वावलंबी, सुरक्षित, समता और ममता में जीने वाले बनना चाहिए। इस दिशा में हम सबको प्रयास करने की जरूरत है। यह सामुदायिक भवन संस्कार युक्त शिक्षा का केंद्र बने। सरकार द्वारा कई योजनाएं विद्यालय और विश्वविद्यालय में है। अधिक से अधिक बच्चों का नामांकन हो, इसके लिए योजना भी लागू है। लेकिन उस विद्यालय में जैसा संस्कार युक्त शिक्षा दिया जाना चाहिए, वह शिक्षा नहीं मिल पाती है। इसलिए यह सामुदायिक केंद्र संस्कार युक्त शिक्षा का केंद्र बने, इस दिशा में हम सबको प्रयास करने की जरूरत है। बोले- ऐसे प्रयास से समाज आगे बढ़ सकता है बच्चियों को हम संस्कार और सद्गुण युक्त शिक्षा दें, जिससे कि आगे चलकर वह हमारे देश के भविष्य को एक दिशा दे सकें, इसके लिए प्रयास करना चाहिए। हमारा समाज केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं हो बल्कि बल बुद्धि से भी स्वस्थ होना चाहिए। इसके लिए कोई उपक्रम सामुदायिक भवन को केंद्र में रखकर करना चाहिए। हम इसे चिकित्सा केंद्र के रूप में भी विचार कर सकते हैं, जिससे कि समाज जागरूक हो। विभाग संघ चालक कुमार सुशील ने कहा कि ऐसे अवसर हमें यदा कदा मिलते हैं, जब स्थानीय समाज अपने उदारता के बल पर 50 लाख से अधिक की राशि खर्च कर ऐसा सामुदायिक भवन, 21 शौचालय एवं मंदिर को महादलित समाज के लिए अर्पित कर रहा है। इसके लिए राकेश सिन्हा एवं मंदिर निर्माण समिति धन्यवाद के पात्र हैं। ऐसे प्रयास से ही हमारा समाज सबल होकर आगे बढ़ सकता है। सामुदायिक भवन में एक साथ 200 लोगों के ठहरने की व्यवस्था मंदिर निर्माण से जुड़े मंटून कुमार मिश्र ने बताया, 'मुसहर समाज के साथ-साथ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से की गई आर्थिक मदद से गांव में 2023 से सामुदायिक भवन का निर्माण शुरू किया गया था, जो 16 लाख रुपए की मदद से बनकर तैयार हो चुका है।' उन्होंने बताया, 'सामुदायिक भवन के निर्माण के बाद छत पर ही कामा माई का मंदिर बनाया गया है, जिसके निर्माण में 24 लाख रुपए का खर्च आया है। सामुदायिक भवन में दो बड़े कमरे बनाए गए हैं। हर कमरे का साइज इतना बड़ा है कि इसमें एक साथ 200 लोग ठहर सकते हैं।' मंटून कुमार मिश्र ने कहा, 'सामुदायिक भवन बनाने का मकसद है कि स्थानीय महादलित समुदाय के लोग अपनी बेटियों और बेटों की शादी यहां धूमधाम से करा सकें। इसके अलावा, किसी बड़े आयोजन में लोगों के ठहरने की भी व्यवस्था सामुदायिक भवन में की गई है।' अब जानिए, मुसहर समाज की आराध्य कामा माई कौन हैं? 'कामा माई' महादलित समुदाय की पूजनीय और शबरी माता की प्रतीक हैं। स्थानीय वाल्मीकि सदा कहते हैं कि हमारे समाज में किसी के घर में मुंडन और शादी समेत कोई भी शुभ काम होता है तो उसकी शुरुआत कामा माई की पूजा से होती है। हम लोग गांव में रोज उनकी पूजा करते हैं। हमारे गांव में सैकड़ों वर्ष से पिंडी के रूप में उनकी पूजा होती थी। बाप-दादा जैसे पूजा करते आ रहे थे, उसी तरीके से हम लोग पूजा करते आ रहे हैं। कामा माय कहां से आई, उनका अवतरण कैसे हुआ, इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन हमारे पूर्वज कहते थे कि यह सबरी माता की प्रतीक हैं। मंदिर निर्माण से जुड़े और गांव के ही रहने वाले मंटून मिश्र बताते है कि राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने अगस्त 2023 में हमारे सूजा गांव को आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था। उन्होंने गांव की स्थिति देखी। उनके सहयोग से सामुदायिक भवन और कामा माय का मंदिर लगभग बनकर तैयार हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन के नाम पर शनिवार को सामुदायिक भवन और मंदिर का नामकरण किया गया है। हमारे गांव के लोग काफी खुश हैं।

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