शनिवार को निंबू-मिर्च लटकाना अंधविश्वास या विज्ञान:बहुरा मामा की धरती बखरी में आज भी परंपरा जारी, आस्था और तर्क का अनूठा संगम

Dec 13, 2025 - 07:30
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शनिवार को निंबू-मिर्च लटकाना अंधविश्वास या विज्ञान:बहुरा मामा की धरती बखरी में आज भी परंपरा जारी, आस्था और तर्क का अनूठा संगम
'स्नान पूजा कर शनि भगवान और दसों दिशाओं की देवी-देवता का स्मरण करके घर से निकलते हैं। जहां कहीं भी दुकान और घर में लटकाते हैं, वहां सूर्य और शनि भगवान का मंत्र पढ़कर लटकाते हैं। लटकाने के दौरान वक्रतुंड महाकाय.., वाला गणेश मंत्र भी पढ़ते हैं। बखरी में सिर्फ दुकान ही नहीं, बड़े-बड़े घरों में भी यह नींबू- मिर्च और सुई से बनी माला लटकाते हैं।' ये बातें बेगूसराय जिले के बखरी के श्यामलाल मालाकार ने दैनिक भास्कर से कही है। श्यामलाल के पूर्वज भी यहीं काम करते थे। श्यामलाल कहते हैं कि मैं भी उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहा हूं। श्याम लाल आगे बताते हुए कहते हैं कि काफी संख्या में पंडित जी भी अपने घर में लटकाते हैं। नींबू, मिर्च, लहसुन और सूई का टुकड़ा इसमें दिया जाता है। इसको टांगने से ग्रह गोचर का नाश होता है, 5 मिर्च, 5 लहसुन, एक छोटा सूई का टुकड़ा और एक नींबू को काला धागा में पिरोकर बनाया जाता है। वर्षों से हम यह काम करते आ रहे हैं। घर का नींव देते समय भी यह लटकाया जाता है। शुक्रवार की रात से हम लोग बनना शुरू करते हैं। शनिवार को विशेष तौर पर लटकाते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसा किया जाता है। आइए, बखरी में माला लटकाएं जाने वाली परम्परा को जानते हैं... प्रसिद्ध तंत्र साधिका बहुरा मामा की धरती बखरी इस दौर में भी एक अनूठी परंपरा को संजोए हुए है। यहां के सैकड़ों दुकानों और घरों के दरवाजों पर नींबू और हरी मिर्च को धागे में पिरोकर लटकाया जाता है। यहां मालाकार समाज के लोग बड़ी संख्या में नींबू, मिर्च, लहसुन और सूई को काला धागा में पिरोकर सूर्योदय की बेला में दुकानों और घरों में लटकाते हैं। यह परंपरा वर्षों से चल रहा है। बखरी सहित पूरे भारत में नींबू और मिर्च को नकरात्मक उर्जा यानी बुरी नजर से बचने के लिए एक शक्तिशाली टोटका माना जाता है। लोगों का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति एकाग्र होकर दुकान या घर को एकटक देखे, तो बुरी नजर लगने की आशंका होती है। लोगों का विश्वास है कि नींबू और मिर्च को काले धागे में पिरोकर लटकाने से नकारात्मक शक्तियां घर और दुकान में प्रवेश नहीं कर पाती हैं। मिर्च का तीखापन और नींबू का खट्टापन देखने वाले व्यक्ति का ध्यान भंग कर देता है। लेकिन यह संयोजन उस एकाग्रता को तोड़ देता है। 'दरिद्रता के देवी के लिए लटकाए जाते हैं नींबू-मिर्च' कुछ मान्यताओं के अनुसार दरिद्रता की देवी को तीखे और खट्टे स्वाद पसंद होते हैं। नींबू-मिर्च को उनके लिए अर्पण के रूप में लटकाया जाता है। जिससे वे इसे खाकर संतुष्ट हो जाएं और घर या दुकान के बाहर से ही लौट जाएं, जिससे धन की देवी लक्ष्मी का वास बना रहे। तंत्र साधिका बहुरा मामा की धरती बखरी जैसे तंत्र-मंत्र से जुड़े क्षेत्र में इन उपायों का महत्व और भी बढ़ जाता है। स्थानीय लोग तामसी शक्तियों और टोने-टोटके से सुरक्षा के लिए इस परंपरा का पालन करते हैं। आधुनिक विज्ञान और तर्कवादी इस परंपरा को केवल अंधविश्वास नहीं मानते, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक आधार और मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी देखते हैं। प्राकृतिक कीट-नाशक के रूप में काम करता है माला डॉ. रमण झा बताते हैं कि नींबू में साइट्रिक एसिड और मिर्च में कैप्साइसिन नाम के प्राकृतिक यौगिक पाए जाते हैं। यह दोनों ही तत्व कीट-नाशक का काम करते हैं। पुराने समय में जब कृत्रिम कीटनाशक उपलब्ध नहीं थे, तब लोग मच्छरों, मक्खियों और अन्य कीड़ों को दूर रखने के लिए इसे दरवाजों पर लटकाते थे। हवा में फैली इनका तीव्र गंध और अम्ल वातावरण को शुद्ध रखने में कुछ हद तक मदद करती है। हवा में मौजूद बैक्टीरिया को कम करने में सहायक नींबू अपने एसिडिक गुणों के कारण आस-पास की हवा से नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करने में भी सहायक माना जाता है। यह हवा में मौजूद कुछ बैक्टीरिया को भी कम करने में मदद कर सकता है। आस्था और तर्क का एक अनूठा संगम कौशल किशोर क्रांति कहते हैं कि यह टोटका एक मानसिक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। इसे लगाने से लोगों के मन में यह आत्मविश्वास मजबूत होता है कि उनका घर या व्यापार सुरक्षित है। यह सकारात्मक सोच उनके काम में बेहतर प्रदर्शन करने और मानसिक शांति बनाए रखने में मदद करती है। यह एक प्रकार का विशेष प्रभाव है, जहां विश्वास से ही अच्छा परिणाम मिलता है। कौशल कहते हैं कि नींबू-मिर्च लटकाने की परंपरा आस्था और तर्क का एक अनूठा संगम है। इसे बुरी नजर से बचाव का एक अचूक उपाय माना जाता है। बहुरा मामा की भूमि होने के कारण तंत्र-मंत्र की शक्ति में विश्वास रखते हैं। प्राकृतिक कीट-नाशक के रूप में उपयोगी दूसरी ओर विज्ञान इसके पीछे छिपे प्राकृतिक कीट-नाशक गुणों को उजागर करता है। यह परंपरा प्रमाण है कि कैसे भारतीय समाज में लोक-मान्यता अक्सर व्यावहारिक या वैज्ञानिक कारणों से जुड़ी है। यह अनूठी प्रथा आज भी लोगों को मानसिक शांति और सुरक्षा का एहसास कराती है, जो उनके दैनिक जीवन और व्यापार की सफलता के लिए जरूरी माना जाता है।

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